कोई तो दुश्मन क़ायदे का हो

दोस्ती के नए-नए रंग खिल रहे श्याम बिहारी श्यामल  तिज़ारत एक बिना फायदे का हो   कोई तो दुश्मन क़ायदे का हो  गाल फुलाएं या आ...
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लूटा आसमां को किसने

असलहा चिह्न-ए-समीना   श्याम बिहारी श्यामल   ज़ोर-ए-बाज़ू जब जीना  सूखे क्योंकर यह पसीना  क्या आबे ज़न्नत, क्या ज़हर  ज़िन्द...
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