भांति-भांति के जीव-निजीर्वों से भरी है यह आभाषी दुनिया। कौन कब कहां क्या शिगूफा या जहर उगलकर लीपने में जुट जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसे में किसी विचारवान व्यक्ति का सक्रिय रहना कितना राहत देने और भरोसा बनाए रखने वाला हो सकता है, फेसबुक पर आदरणीय अग्रज मोहन श्रोत्रिय की उपस्थिति-सक्रियता इसे बाकायदा साबित करती चलती है। अभी-अभी फेसबुक ने ही उनके जन्मदिन की सूचना दी तो लगा कि उन्हें कुछ खास ढंग से शुभकामनाएं निवेदित की जाएं..
यह मोहन निर्झर
कठोर समय का यह जो गुंफित जटिल गह्वर..
फूट रहा इससे विचारों का छलछल निर्झर..
यह निर्झर जो यहां मोहन-रूप में उपलब्ध..
उससे हमारा अंतरंग अटूट अनोखा अनुबंध..
मोहन जी, हमेशा हम आपसे संवाद बनाएं रहें..
हर साल 'जन्मदिन मुबारक अग्रज' गुंजाए रहें..
आप सदा करते रहें जीवन-मार्ग को प्रशस्त..
स्नेह देते रहें समग्र समाज को मुक्तहस्त..
- श्याम बिहारी श्यामल
फूट रहा इससे विचारों का छलछल निर्झर..
यह निर्झर जो यहां मोहन-रूप में उपलब्ध..
उससे हमारा अंतरंग अटूट अनोखा अनुबंध..
मोहन जी, हमेशा हम आपसे संवाद बनाएं रहें..
हर साल 'जन्मदिन मुबारक अग्रज' गुंजाए रहें..
आप सदा करते रहें जीवन-मार्ग को प्रशस्त..
स्नेह देते रहें समग्र समाज को मुक्तहस्त..
- श्याम बिहारी श्यामल
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