अक्श दिखाता है हर बार उल्टा श्याम बिहारी श्यामल सबको अक्श दिखाता है आईना अपनी शक्ल छुपाता क्यों आईना कहीं तो इस खेल...
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फ़रवरी 2019
पैगाम अब आम, हिन्दुस्तां न बख्शेगा
दरिंदिस्तान मिट के रहेगा श्याम बिहारी श्यामल शैतानियत का खेल अब और न चलेगा दहशतिस्तां तबाही ही और देखेगा सरहद को लांघ...
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हवा रहे खिलाफ
चित्र : साभार गूगल अबाध हो बहना श्याम बिहारी श्यामल बूतों से कहना छोड़ें चुप रहना मंज़िल बाक़ी है बहुत तेज चलन...
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बे-दलील बदहवास बेचैन हो उठे
कुनबा-ए-शैतां अब मैदानछोड़ था श्याम बिहारी श्यामल एक शख्स जो शुरू से ही हंसोड़ था क्यों उसका ज़वाब हर अब मुंहतोड़ था कौन ...
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क्यों इसकी अब तक दवा न बनी है
ताक रहीं बोल रहीं शक़्लें टंगी श्याम बिहारी श्यामल यह जो टीस-सी ज़िगर में तनी है क्यों इसकी अब तक दवा न बनी है ...
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नामवर सिंह शख्स यह हमारे अदब में हुआ है
तारीख़-ए-अदब मिसाल दूसरी खोज के दिखा श्याम बिहारी श्यामल बुलंदी ने बनाया खुद को जिनका पहरुआ है नामवर सिंह शख्स यह हमारे अद...
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उसे लगा मुरीद हैं हम
वह जो हो हम भी कुछ हैं श्याम बिहारी श्यामल कब किससे कभी बनी है अभी ज़िन्दगी से ठनी है अगर वह वक़्त की रानी नाचीज़...
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ज़िंदगी बेसाख्ता तू हमसे मिला कर
रू-ब-रू नहीं होने से बढ़ रहा भरम श्याम बिहारी श्यामल इतनी-सी इनायत तो मुझ पर अता कर ज़िंदगी बेसाख्ता तू हमसे मिला कर ...
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आंधियों को हवा करता रहा
यह जादू कोई समझता है क्या श्याम बिहारी श्यामल जो पसंद नहीं कभी क़ुबूल नहीं, ऐसा भी कोई अड़ता है क्या अपना रास्ता खुद ही रोक...
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ज़िंदगी ने नामवर सिंह को जिया है
खज़ाना-ए-सुखन ख़ास यह श्याम बिहारी श्यामल वक़्त ने पेश अफसाना यह जो ख़ास किया है ज़माने ने अहसास यह दिल में समेट लिया है ...
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नमन नामवर :::: जंचा नहीं नामवर संग यह सलूक दिखाना
इस चरवाही की तारीफ़ हो कि लानत भेजूं IIII आचार्य प्रवर डा. नामवर सिंह के अंतिम संस्कार का विचलित कर देने वाला दृश्य (वीडियो क्लिप)...
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विदा हो रहे अनुपम अनोखे नामवर
खांचा नहीं खींचा कोई फ़र्क न किया श्याम बिहारी श्यामल धुंध में गुम आज हिंदी का आंगन-घर विदा हो रहे अनुपम अनोखे नामवर...
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नामवर होने का अर्थ ( भारत यायावर की कृति ) : एक दृष्टिपात
नामवर-निर्मिति का रोचक रोमांचक वृत्तांत पुस्तक-समीक्षा 0 श्यामबिहारी श्यामल ''...अ पने देश में आम जनता तक ब...
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नामवर जी का महाप्रस्थान, हिंदी साहित्य पर वज्रपात
२८ जुलाई २०१८ को दिल्ली में राजकमल प्रकाशन के तत्वावधान में नामवर जी के जन्म-दिन पर आयोजित समारोह का चित्र! संयोग से यह अब नामवर जी ...
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हक़ीक़त रंग कभी यक-ब-यक दिखाएगी
क्यों तिस्नगी है दौलत रग-रग में तेरी श्याम बिहारी श्यामल ज़िंदगी इनायत कब तलक फरमाएगी बात निकले तब तो दूर तलक जाएगी ...
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हंगामा गुपचुप-सा कुछ
कुछ है कहीं ठिठका-सा श्याम बिहारी श्यामल कुछ न कुछ कहता है कुछ हर पल क्या बजता है कुछ सन्नाटे में शोर क्यों हं...
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घूम रहा कटोरा उठाए वह कटोरिस्तान है
वह क्या है ज़ाहिलिस्तान या जानवरिस्तां श्याम बिहारी श्यामल क़ातिल-ए-इंसानियत जहां वह क़ातिलिस्तान है नाम का पाक़ लेकिन असल ...
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नाम पाक़ पहचान भद्दी है
खटक रहा जहन्नुम दुनिया को श्याम बिहारी श्यामल नाम पाक़ पहचान भद्दी है सोच-समझ एकदम रद्दी है खुद को निगलने पर तुला हुआ...
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हवाओं ने धोए निशां-ए-अश्क़ अभी
इसी पल बाज आ ज़िंदगी, जुआ न कर श्याम बिहारी श्यामल तन्हाइयो, इतने पास भी हुआ न कर हद में ही रह अपनी हमें छुआ न कर दुश्...
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क़ातिल को भी क़ुबूल कहां क़ातिल कहलाना
हालात को बदलेगा ख़ास भरोसा श्याम बिहारी श्यामल नक़ाब-ए-शराफ़त की अब जो होड़ मची थी ख्वाहिश-ए-अच्छाई यह निहायत सच्ची थी ...
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काले बादल काबिज़ थे आस्मां-ए-ज़ेहन
कैसी यहां दरपेश पहेली श्याम बिहारी श्यामल हक़ीक़त-ए-वक़्त-ए-सवालात अज़ीब घड़ी थी अंगुली उठी एक थी चार अपनी ओर मुड़ी थी उसस...
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आईना दिखाते हैं खुद पर नज़र रखते हैं
चादर यह बड़ी नहीं पर शफ्फाक ग़ज़ब श्याम बिहारी श्यामल हक़-ए-सुखनवरी यहां यूं हम अदा करते हैं आईना दिखाते हैं खुद पर नज़र रखत...
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ज़िंदगी गुजरी है ऐसी गलिओं से भी
धक्के पहुंचे वज़ूद बिखर गया श्याम बिहारी श्यामल ज़ेरे अश'आर मेरे सब वही-वही है बात जो पूरे दिल से इस दिल ने कही है ...
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