वह क्या है ज़ाहिलिस्तान या जानवरिस्तां
श्याम बिहारी श्यामल
क़ातिल-ए-इंसानियत जहां वह क़ातिलिस्तान है
नाम का पाक़ लेकिन असल में नापाकिस्तान है
मार गिराया है जिसने हर उसूल-ए-ज़िंदगी को
कमबख्त वह ज़मीन दरअसल नाजायज़िस्तान है
मांग कर खाता है मांगे कपड़े ही पहनता है
घूम रहा कटोरा उठाए वह कटोरिस्तान है
लड़ने की औक़ात नहीं है छुप-छुप वार कर रहा
धोखा-फरेब रग-रग में, असली फरेबिस्तान है
अपनों से वफ़ा न गैरों से ही कोई मोहब्बत
हर ज़ज्बा ज़मींदोज़ जहां वह तो क़ब्रिस्तान है
इंसानियत पर चोट गद्दारी है क़ायनात से
यह सब हर पल जो कर रहा वह गद्दारिस्तान है
अपनों से वफ़ा न गैरों से ही कोई मोहब्बत
हर ज़ज्बा ज़मींदोज़ जहां वह तो क़ब्रिस्तान है
इंसानियत पर चोट गद्दारी है क़ायनात से
यह सब हर पल जो कर रहा वह गद्दारिस्तान है
श्यामल वह क्या है ज़ाहिलिस्तान या जानवरिस्तां
हैवानिस्तां, ज़ल्लादिस्तां या ज़हन्नुमिस्तान है
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 136वां बलिदान दिवस - वासुदेव बलवन्त फड़के और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंव्वाहहह
जवाब देंहटाएंसादर