ज़िंदगी गुजरी है ऐसी गलिओं से भी


धक्के पहुंचे वज़ूद बिखर गया

श्याम बिहारी श्यामल 

ज़ेरे अश'आर मेरे सब वही-वही है 
बात जो पूरे दिल से इस दिल ने कही है 

ऐसा भी नहीं कि क़दम डगमगाए नहीं  
अपनी राह छूटे नहीं क़ोशिश रही है 

जब-जब धक्के पहुंचे वज़ूद बिखर गया 
उस हिम्मत ने बटोरा जो रही-सही है 

ज़िंदगी गुजरी है ऐसी गलिओं से भी 
तंग हालात की जिनकी मिसाल नहीं है 

श्यामल होने की क़ीमत अदा क़दम-क़दम
हर मुक़ाम पर लगता 'मैं' छूटा कहीं है   

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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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1 comments:

  1. जब-जब धक्के पहुंचे वज़ूद बिखर गया
    उस हिम्मत ने बटोरा जो रही-सही है
    ...क्या बात है

    जवाब देंहटाएं