धक्के पहुंचे वज़ूद बिखर गया
श्याम बिहारी श्यामल
ज़ेरे अश'आर मेरे सब वही-वही है
बात जो पूरे दिल से इस दिल ने कही है
ऐसा भी नहीं कि क़दम डगमगाए नहीं
अपनी राह छूटे नहीं क़ोशिश रही है
जब-जब धक्के पहुंचे वज़ूद बिखर गया
उस हिम्मत ने बटोरा जो रही-सही है
ज़िंदगी गुजरी है ऐसी गलिओं से भी
तंग हालात की जिनकी मिसाल नहीं है
श्यामल होने की क़ीमत अदा क़दम-क़दम
हर मुक़ाम पर लगता 'मैं' छूटा कहीं है
जब-जब धक्के पहुंचे वज़ूद बिखर गया
जवाब देंहटाएंउस हिम्मत ने बटोरा जो रही-सही है
...क्या बात है