ज़िंदगी बेसाख्ता तू हमसे मिला कर


रू-ब-रू नहीं होने से बढ़ रहा भरम

श्याम बिहारी श्यामल  

इतनी-सी इनायत तो मुझ पर अता कर
ज़िंदगी बेसाख्ता तू हमसे  मिला कर 

हमें देख राह बदले यह अच्छा नहीं
गांठें खोल औ' कसे मन को ढीला कर

अब और न कतरा कभी सामने तो आ 
गिले-शिक़वे चाहे जी भर के किया कर

रू-ब-रू नहीं होने से बढ़ रहा भरम
तशरीफ़ फरमा इस दुनिया को जता कर 

श्यामल उन्हें जो शोशे उड़ा रहे हैं
वक़्त देगा ज़वाब सच्चाई दिखा कर 





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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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1 comments:

  1. हमें देख राह बदले यह अच्छा नहीं
    गांठें खोल औ' कसे मन को ढीला कर
    वाह, क्या बात है👌👌 लाजवाब

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