हवाओं ने धोए निशां-ए-अश्क़ अभी


इसी पल बाज आ ज़िंदगी, जुआ न कर

श्याम बिहारी श्यामल 

तन्हाइयो, इतने पास भी हुआ न कर 
हद में ही रह अपनी हमें छुआ न कर 

दुश्मनी नहीं हम दोस्ती के ज़ख़्मी  हैं 
अब और तरस न खा कोई दुआ न कर  

शह और मात अब और क़ुबूल नहीं है 
इसी पल बाज आ ज़िंदगी, जुआ न कर 

हवाओं ने धोए निशां-ए-अश्क़ अभी 
आंखों से गुजारिश है यार रुआ न कर 

श्यामल यह खाक़ ज़मीं-ए-मोहब्बत है 
यारो नफ़रत तो अब और बुआ न कर





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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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1 comments:


  1. हवाओं ने धोए निशां-ए-अश्क़ अभी
    आंखों से गुजारिश है यार रुआ न कर ...वाह 👌👌गजब

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