इसी पल बाज आ ज़िंदगी, जुआ न कर
श्याम बिहारी श्यामल
तन्हाइयो, इतने पास भी हुआ न कर
हद में ही रह अपनी हमें छुआ न कर
दुश्मनी नहीं हम दोस्ती के ज़ख़्मी हैं
अब और तरस न खा कोई दुआ न कर
शह और मात अब और क़ुबूल नहीं है
इसी पल बाज आ ज़िंदगी, जुआ न कर
हवाओं ने धोए निशां-ए-अश्क़ अभी
आंखों से गुजारिश है यार रुआ न कर
श्यामल यह खाक़ ज़मीं-ए-मोहब्बत है
यारो नफ़रत तो अब और बुआ न कर
जवाब देंहटाएंहवाओं ने धोए निशां-ए-अश्क़ अभी
आंखों से गुजारिश है यार रुआ न कर ...वाह 👌👌गजब