खज़ाना-ए-सुखन ख़ास यह
श्याम बिहारी श्यामल
वक़्त ने पेश अफसाना यह जो ख़ास किया है
ज़माने ने अहसास यह दिल में समेट लिया है
अपनी उम्र को क़ायनात में जीते हैं सभी
यहां तो ज़िंदगी ने नामवर सिंह को जिया है
एक शख्स जिसे दुश्मन प्यारे दोस्तों की तरह
ताउम्र लड़ा खुदी से खुद को धकेल दिया है
हमारी किस्मत पर जिसे करना हो रश्क़ करे
समंदर मीठा मिला हमें जिसे छककर पिया है
श्यामल ने नामवर देखा नामवरी ठाट भी
खज़ाना-ए-सुखन ख़ास यह मालामाल हिया है
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (23-02-2019) को "करना सही इलाज" (चर्चा अंक-3256) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अपनी उम्र को क़ायनात में जीते हैं सभी
जवाब देंहटाएंयहां तो ज़िंदगी ने नामवर सिंह को जिया है...क्या बात है 👌👌👌👌