विदा हो रहे अनुपम अनोखे नामवर



खांचा नहीं खींचा कोई फ़र्क न किया

श्याम बिहारी श्यामल 

धुंध में गुम आज हिंदी का आंगन-घर  
विदा हो रहे अनुपम अनोखे नामवर 

दिल रो रहा हम कभी फिर मिल न सकेंगे 
तर्क दिलासा देता नामवर अब अमर 

बनारस का बेटा अदब का लाल कमाल 
मुरीदों की आँखों से अश्क़ झर-झर-झर 


खांचा नहीं खींचा कोई फ़र्क न किया
पहचान उसे बख्शी जो मिला बेहतर


रेणु, मुक्तिबोध, निर्मल वर्मा व धूमिल
उन्हीं के तो गढ़े-बनाए ऊंचे शिखर  

चदरिया जस की तस वह भी धरता रहा 
काशी का यह एक और वही बुनकर  

श्यामल खुश रह बुज़ुर्ग-ए-अदब से जुड़े 
नामवर की इनायत रही तेरे भी ऊपर 


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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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1 comments:

  1. खांचा नहीं खींचा कोई फ़र्क न किया
    पहचान उसे बख्शी जो मिला बेहतर
    ...आदर सहित नमन नामवर जी 🙏 रउरा हमेशा याद आइम 💐

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