सबका अपना-अपना था


ज़रा भी कम किसी को कहां क़ुबूल यहां 

श्याम बिहारी श्यामल 

मक़सद महज़ हालात हक़ में करना था  
चुनांचे सच सबका अपना-अपना था 

ज़रा भी कम किसी को कहां क़ुबूल यहां 
बेअदब-ओ-बेकाबू हर सपना था 

अदब-ए-कतार की कहां अब बात कहीं 
सबको आगे ही आगे रहना था

ऊंचे-ऊंचे बोल व जुमले गोल-गोल 
बोलना कुछ भी औ' कुछ भी करना था 

श्यामल पूरा दौर क्यों इस क़दर पागल 
बे-पानी पानी में पानी भरना था 






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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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