मौजें खुद ही राह गढ़ेंगी


संभलेगा न सो खाक होगा

श्याम बिहारी श्यामल

दुनिया यूं ही राह चलेगी 
बनते-बनते बात बनेगी


मानी कहीं और न खोजिए
ग़ज़ल खुलते-खुलते खुलेगी


कब तक रोक रखेगा कोई 
रोक यह अब खुद ही रुकेगी 


संभलेगा न सो खाक होगा
जलते-जलते आग जलेगी


कौन नहीं सब कुछ देख रहा
कहते-कहते दुनिया कहेगी


श्यामल दरिया की राह छोड़
मौजें खुद ही राह गढ़ेंगी 






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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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