ग़ज़ल श्याम बिहारी श्यामल शक़-ओ-शुबहां न रख जि़ंदगी क़दम-क़दम न इम्तिहान ले हम कद्रदां हैं तेरे आशिक़ नहीं, हक़ीक़त क...
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जून 2018
कैसा आया है नया शाहजहां
ग़ज़ल श्याम बिहारी श्यामल रोशनी यह कैसी मुक़ाबिल यहाँ पलकें उठाना भी मुश्कि़ल यहाँ ज़मीं ...
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चांद नदी में घुल रहा है
ग़ज़ल श्याम बिहारी श्यामल जल चांदनी में धुल रहा है चांद नदी में घुल रहा है सितारे अब आंखें मल रहे मन तो सबका झूल ...
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ग़ज़ल जो बटोरा है सब खोना है इसी एक बात का रोना है खेल अलग-अलग चला अब अंत एक-सा होना है कब्ज़ा बहुत लंबा-चौड़ा है...
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चांदनी से सुना है यह चांदमहल है श्याम बिहारी श्यामल ज़न्नत-ए-जां-ओ-ज़िगर साज़महल है बेेेेशक़ यह नहीं मह...
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