चांदनी से सुना है यह चांदमहल है        

श्‍याम बिहारी श्‍यामल

ज़न्‍नत-ए-जां-ओ-ज़‍िगर साज़महल है 
बेेेेशक़ यह नहीं महज़ ताज़महल है

हवाओं ने चांदनी से सुना है हज़ारहां 
दिलकश है नायाब है यह चांदमहल है

जितना सुनाे-कहाे हर बार उतना बाक़ी 
अजब है ग़ज़ब है यह तो राज़महल है 

नज्‍़म-ओ-गाने जितने उतने ही ताने 
हर घूूंट निगलता हुआ लाजमहल है

इधर अश्‍क़ सुलगा उधर रश्‍क़ पिघला 
हर बार दिल ने कहा यह आगमहल है 

बेज़ुबान दिखता हो पर चुप कभी कहां
गूंजता ही जाता मुक़म्‍मल रागमहल है 

शब दौड़ती आती है उसे सुब्‍ह सौंपने 
श्‍यामल तभी तो यह रोज़ आजमहल है 




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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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