अथाहशत्रु नामवर
श्याम बिहारी श्यामल
शब्दों की दुनिया में किताबों का घर
उसमें रहते जो वह अक्षर नामवर
नाले-पनाले खंदक खाई बेहिसाब
कभी थके न रुके यायावर नामवर
खाक़ की कहानी शोलों से लिखी
नायक आग के समंदर नामवर
कैसा यह मन जिसे दुश्मन भी प्रिय
हर सवाल के बागी उत्तर नामवर
आधी सदी तक रौंदता रहा संसार
ऐसे तूफान आंधी बवंडर नामवर
रुकी न मथानी, खौलते रहे विचार
पताका थामे नगर-डगर नामवर
तिरान्बे को छूकर भी विचारशील वह
वही किंतु-परंतु अगर-मगर नामवर
महाकाव्य कैसे समालोचक का जीवन
चकित खुद सफर के हमसफर नामवर
अजातशत्रु हो कोई, यह तो अथाहशत्रु
पक्ष के बाहर, विपक्ष के अंदर नामवर
हांके गए नकारे गए पर हारे नहीं
घृणा-प्रेम पर तैरते ऊपर नामवर
क़लम ने झकझोरे कभी दिए झकोरे
छाए सदा वाणी के जादूगर नामवर
जीयनपुर के बेटे काशी के कुमार
अब तो दुनिया के वह गुरुवर नामवर
वाग्देवी हिन्दी का कलेजा जुड़ाया
शतायु की ओर अब अग्रसर नामवर
श्यामल बनी रहे यह अति शीतल छाया
कई पीढि़यों के वह श्रद्धेयवर नामवर
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