कभी भी बात बिगड़ जाएगी

ग़ज़ल 

श्‍याम बिहारी श्‍यामल 

शक़-ओ-शुबहां न रख जि़ंदगी क़दम-क़दम न इम्तिहान ले 
हम कद्रदां हैं तेरे आशिक़ नहीं, हक़ीक़त को मान ले 

हर वक्‍़त पीछा न कर, आदत यह तेरी ठीक नहीं
कभी भी बात बिगड़ जाएगी, ठीक से यह जान ले 

हम तो अपने रंग में डूबे हैं अपने ही मन के शाह 
दुनियादारी रख, न हमसे ले न हमें एहसान दे 

अदम हैं बेशक़ हम पर ग़ालिब-ओ-अक़बर भी हमीं 
फ़लक-ए-लफ्ज़ बनाए हैं मैंने, कभी तू भी उड़ान ले 

मुमकिन है इस भीड़ में हमारा यह चेहरा न दिखे 
श्‍यामल ही रहने दे हमें अब अलग से न पहचान दे 

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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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3 comments:

  1. क्‍या बात ...क्‍या बात...मुमकिन है इस भीड़ में हमारा यह चेहरा न दिखे
    श्‍यामल ही रहने दे हमें अब अलग से न पहचान दे

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (30-06-2018) को "तुलसी अदालत में है " (चर्चा अंक-3017) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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