पैगाम अब आम, हिन्दुस्तां न बख्शेगा


दरिंदिस्तान मिट के रहेगा

श्याम बिहारी श्यामल 

शैतानियत का खेल अब और न चलेगा 
दहशतिस्तां तबाही ही और देखेगा 

सरहद को लांघ ऐसी लात मारी गयी 
पिद्दिस्तान समझ गया वह अब न बचेगा 
 
सत्तर साल से चलता रहा दौर-ए-माफ़ी 
पैगाम अब आम, हिन्दुस्तां न बख्शेगा

खाने को मोहताज़ पर हसरत देखिए
भीख से कमबख्त हथियार खरीदेगा

कैसा जमावड़ा यह ज़ाहिलों का दोस्तो 
कुल्हाड़ी से टांगें खुद काट के रहेगा 

ज़हां ने कब देखा ऐसा ख़ब्तुलहवास 
जो खुद-खोदी क़ब्र में तय है गिरेगा 

लहू का स्वाद इस क़दर ज़ेहन में उस के 
खुदकश ज़ाहिर है खुद को निचोड़ पिएगा 

इंसानियत का अब तक चाटता रहा ख़ूं   
श्यामल यह दरिंदिस्तान मिट के रहेगा 





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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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1 comments:


  1. लहू का स्वाद इस क़दर ज़ेहन में उस के
    खुदकश ज़ाहिर है खुद को निचोड़ पिएगा ...वाह वाह

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