किसी का रोकना माना न कोई टोकना सुना
श्याम बिहारी श्यामल
दोस्त क्यों इतने कम पूछ रही ज़िंदगी की बही
कद्दावर दुश्मनों की क्यों कभी कमी नहीं रही
बात जब जो दिल में उठी लगातार लिखते रहे
क्या पता काम यह कितना गलत रहा कितना सही
किसी का रोकना माना न कोई टोकना सुना
खुद को सुनते और दर्ज़ करते रहे वही-वही
कैसी यह ज़िद मेरी औ' रहा कितना यह जुनून
अपनी एक धुन को धुनना कभी भी छोड़ा नहीं
कुछ तो रही जिससे चिढ़ते रहे शख्स बड़े-बड़े
क्यों किसी ने कोई इनायत कभी की नहीं कहीं
शीशे में भी मिलने कोई श्यामल कहां आया
कैसे कहूं सब प्यार है जो अब तक मैंने कही
बात जब जो दिल में उठी लगातार लिखते रहे
जवाब देंहटाएंक्या पता काम यह कितना गलत रहा कितना सही
...वाह 👌क्या बात है
:)
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