एक सवाल एक बात एक अहसास
श्याम बिहारी श्यामल
क्या सफ़र है ठिकाना बेठिकाना है
बदन भी जहां लेकर नहीं जाना है
एक सवाल एक बात एक अहसास
लहरों को बस आहिस्ते सुलाना है
क्या सचमुच है या क्या बिल्कुल ही नहीं
कौन लौटा कि जिससे जान पाना है
लाख चाहो दिमाग से उतरता नहीं
नदी को तो समंदर में समाना है
श्यामल अज़ीब यह दास्तां-ए-ज़िंदगी
सब हवा-हवा क्या कहना-बताना है
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें