क़ातिल को भी क़ुबूल कहां क़ातिल कहलाना


हालात को बदलेगा ख़ास भरोसा 

श्याम बिहारी श्यामल 

नक़ाब-ए-शराफ़त की अब जो होड़ मची थी 
ख्वाहिश-ए-अच्छाई यह निहायत सच्ची थी 

क़ातिल को भी क़ुबूल कहां क़ातिल कहलाना  
नई आमद-ए-शक्ल अभी उम्मीद बची थी

जो निहायत बुरा था इस कोशिश में लगा था
शिनाख्त बदले ज़ल्द जो क़तई न अच्छी थी 

आसान तो नहीं लेकिन नामुमकिन भी कहां 
बात पक्की होने लगी जो अभी कच्ची थी

श्यामल हालात को बदलेगा ख़ास भरोसा  
बेशक़ीमती है यह चाह जो बची-खुची थी  





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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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1 comments:


  1. जो निहायत बुरा था इस कोशिश में लगा था
    शिनाख्त बदले ज़ल्द जो क़तई न अच्छी थी
    ...लाजवाब

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