अक्षय कंदील
वह तो हृदय प्रदेश का झरना...
कौन रोके यह झरना-बहना...
सांस-सांस में जिसके सवाल...
कैसे मिटाये निरूत्तर काल...
आंचल-परिधि अछोर बड़ी
महाकवियों की अनंत कड़ी
आदिकवि का करुणा-आस्वाद
तुलसी कबीर निराला प्रसाद
ऐसा साधना-बल महान...
जिन शिराओं में प्रवहमान...
वह शब्द-देह स्वत: अक्षर...
सदानीर यह प्राण निर्झर...
हर अंधेरे में अक्षय कंदील...
ठुंकी रहेगी काल पर कील...
हर क्षण कुछ न कुछ कहेगी...
कविता थी, है व सदा रहेगी...
श्याम बिहारी श्यामल
खूबसूरत... वाह!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार मित्रवर हबीब साहब...
जवाब देंहटाएंस्नेह-कृपा के लिए आभार आदरणीय डा. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी...
जवाब देंहटाएंउम्दा ...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा रचना |
जवाब देंहटाएंमेरे भी ब्लॉग में पधारें |
मेरी कविता
हार्दिक आभार अंजु जी और प्रदीप जी...
जवाब देंहटाएं