जिंदादिली जिंदाबाद
श्याम बिहारी श्यामल
फीकी न होगी कभी भावनाओं की यह चांदनी खिली...
जज्बात को कहिए छोड़े न कभी अपनी जि़दादिली...
असख्ंय कांटे जो दिख रहे हैं बिछे-फैले यहां-वहां...
भूलें कैसे कि परवरिश उन्हें फूलों संग ही मिली...
घूम रहे दुनिया में जो भी खंजरदिल और खूंख्वार...
हकीकत में जड़ से खुद ही उनकी दरिंदगी है हिली...
कातिल का संगदिल भी हमेशा कहां चाटता है खून...
रेशमी जज्बात से ही तो सबकी जिन्दगी सिली...
दुनिया में सबसे बड़ा झूठ है आदम की संगदिली...
जिन्दगी का इकलौता सच जिंदादिली-जिंदादिली...
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