ऊपरी तौर
पर चाहे भले सर्जिकल स्ट्राइक का हमारा यह कदम उरी के कुकृत्य की बदले
की कार्रवाई जैसा दिख रहा हो, हकीकत में यह दरअसल ऐसा है नहीं। यह तो
मानवता की रक्षा के लिए किया गया एक जरूरी और यादगार हतस्तक्षेप है! कोई
आश्चर्य नहीं कि ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए जो अमेरिका पहले ऐसी
कार्रवाई कर चुका है, उसे या दूसरी विश्वशक्तियाें को भी तैयार हो रही नई
परिस्थितियों में पाकिस्तान में पल रहे संसार-विरोधी आतंकवाद को मिटाने के
लिए जल्द ही कुछ और ऐसे कदम उठाने को फिर से बाध्य होना पड़ जाए। तब आखिर क्या हाल होगा उसका ? ऐसे
में अब पाकिस्तानी हुक्मरानों को यह तय करना है कि वह चाहते क्या हैं !
वह यदि आगे भी आतंकवाद के साथ चिपके रहे तो पाक नाम का यह मुल्क दुनिया के
नक्शे से 'साफ' हो जाएगा, यह खतरा अब स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
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पाक क्याें 'साफ' हो जाने पर आमादा
श्याम बिहारी श्यामल
पाकिस्तान की विडंबना यह है कि वह विधि-संविधान या कानून आधारित संप्रभु राष्ट्र का चरित्र खो चुका है। आज की तारीख में वह दुनिया के सामने ऐसे अकेले मुल्क के रूप में बेनकाब खड़ा है जहां चुनी हुई सरकार, वर्दीधारी सेना और राक्षस आतंकवाद के बीच कोई मामूली विभाजन-रेखा भी नहीं दिखाई दे रही। यही कारण है कि भारत को 28-29 सितंबर '16 की रात एलओसी में प्रवेश करके आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने की कार्रवाई करनी पड़ी, उसके सामने मार खाकर भी रो नहीं पाने जैसी स्थिति पेश है और कार्रवाई के चौबीस घंटों बाद तक पूरी दुनिया ही नहीं उसके इने-गिने हमदर्द तक के समक्ष मुंह ताकते रह जाने के हालात पेश हैं।
उरी में हमारे सैनिकों की हत्या पाकिस्तान का आपराधिक कृत्य था जबकि एलओसी में प्रवेश कर हमारी सर्जिकल स्ट्राइक का कदम खुलेआम एक जवाबदेह, वाजिब, साहसिक और सही वक्त पर की हुई ऐसी कार्रवाई जो पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल के रूप में सामने आई है। इस कार्रवाई ने यह संदेश दिया है कि हमारे लिए अब भी महज आतंकी दुश्मन हैं और यह भी कि पाकिस्तानी अवाम का वहां की सरकार और हुक्मरानों के मुकाबले अधिक ख्याल हम रख रहे। जो आतंकवाद समूची इंसानियत के लिए खतरा है और जिसने पाकिस्तान की जमींन पर भी एक से एक भयानक जनसंहार को अंजाम दिया या आज भी कत्लेआम मचाने में जुटा है, हम उसे खत्म करना चाह रहे जबकि खूनी खेल में हिस्सेदार पाकिस्तानी हुक्मरान उसे अपनी गोद में छुपाकर दूध पिला रहे हैं।
पाकिस्तानी हुक्मरान की शह पर नंगा-नाच रहे आतंकवाद ने खुद वहीं के जन-जीवन को कैसा तबाह कर रखा है, यह किसी से छुपा नहीं है। आतंकी कैसे हथियार पकड़ा कर वहां की युवा पीढ़ी को नष्ट कर रहे और किस तरह उन्होंने आधे से ज्यादा पाक पर कब्जा जमाकर लाखों सामान्य जन का जीना हराम कर रखा है, यह सब भी जगजाहिर हो चुका है। ऐसे में देखें तो हमारी सर्जिकल स्ट्राइक की कार्रवाई दरअसल हमसे ज्यादा पाकिस्तानी अवाम को राहत देने वाली है। गलत सियासत करने वालों के अलावा जाहिल या कट्टर नजरिया वाले लोगों को छोड़ दें तो शायद ही ऐसा कोई पढ़ा-लिखा पाकिस्तानी हो जो आतंकी कैंपों को तबाह किए जाने और इस दौरान किसी सामान्य नागरिक को जरा भी नुकसान नहीं पहुंचाने की हमारी कार्रवाई-नीति की अहमियत नहीं समझ पा रहा हो। इस नीति ने यह भी महसूस करा दिया है कि भारत पूरी दुनिया में शांति-सद्भाव कायम रखने व मानवता की रक्षा के प्रति अंतिम हद तक कटिबद्ध है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीतिक दक्षता तथा भारतीय सेना की वीरता-परिपक्वता का कोई जवाब नहीं है।
इस लिहाज से एलओसी पार के भीतर के आतंकी कैंप तबाह किए जाने की हमारी कार्रवाई हमारे खुद से ज्यादा पूरी इंसानियत के पक्ष में उठाया हुआ ऐसा कदम है, जिसकी मन ही मन तारीफ करने से शायद ही दुनिया का कोई भी आदमी स्वयं को रोक पा रहा हो। इंसानियत का दुश्मन आतंकवाद खुद पाकिस्तान के लिए भी उतना ही खतरा है। इसलिए ऊपरी तौर पर चाहे भले सर्जिकल स्ट्राइक का हमारा यह कदम उरी के कुकृत्य की बदले की कार्रवाई जैसा दिख रहा हो, हकीकत में यह दरअसल ऐसा है नहीं। यह तो मानवता की रक्षा के लिए किया गया एक जरूरी और यादगार हतस्तक्षेप है! कोई आश्चर्य नहीं कि ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए जो अमेरिका पहले ऐसी कार्रवाई कर चुका है, उसे या दूसरी विश्वशक्तियाें को तैयार हो रही नई परिस्थितियों में पाकिस्तान में पल रहे संसार-विरोधी आतंकवाद को मिटाने के लिए जल्द ही कुछ और ऐसे कदम उठाने को फिर से बाध्य होना पड़ जाए। तब क्या होगा उसका ? ऐसे में अब पाकिस्तानी हुक्मरानों को यह तय करना है कि वह चाहते क्या हैं ! वह यदि आगे भी आतंकवाद के साथ चिपके रहे तो पाक नाम का यह मुल्क दुनिया के नक्शे से 'साफ' हो जाएगा, यह खतरा अब स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-10-2016) के चर्चा मंच "आदिशक्ति" (चर्चा अंक-2482) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएंशारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
"पाक साफ़" कोई नया प्रयोग नहीं ,कब से लोग मानते आये हैं.हुइहै सोइ जो काल रचि राखा ....
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