महाकवि त्रिलोचन की आज शताब्‍दी जयंती

इकलौते त्रिलोचन

  श्‍याम बिहारी श्‍यामल

ख़ान संस्‍मरणों की, अनोखे शंका मोचन
जो भी मिलता उसी के हो जाते त्रिलोचन

जनपद की जान रहे और काशी की शान
   अलेखक रामजी बोले, बमभोले त्रिलोचन

भारत यायावरों की कविता में विचरते
अनिल जनविजयों की आंखों में वही त्रिलोचन

नामवरानुज बताते 'सभा' के दिनों की बातें
तंग कमरे में रंग से कैसे रहते त्रिलोचन

कैसे कविता और खाना साथ बनाते
कपड़ा इकलौता अधभीगा पहनते त्रिलोचन

मैदागिन से लौटते अस्‍सी पर मिले थे
लंबे कुर्ते में साइकिल पर टंगे त्रिलोचन

रामजी पूछे 'का गुरु पैजमवा कहां गिरल' 
'कमरवे प, पानी चुअत रहल' बोले त्रिलोचन

सुबह के निकले शाम मैदागिन से लौटे
एकमात्र कुर्ते में यह इकलौते त्रिलोचन

स्‍वर्गवासी निराला से ताजा मुलाकातें
बातें तुलसी से भेंट की बताते त्रिलोचन
  
युवा ठठा पड़ते, गप्‍पें हांकते बहुत हैं
मुस्‍काते भाव-जगत के नागरि‍क त्रिलोचन

ओ हिन्‍दी कविता अपने लाडले से मिल
आज शतायु हुए हैं श्‍यामल के त्रिलोचन

 

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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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1 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (22-08-2017) को "सभ्यता पर ज़ुल्म ढाती है सुरा" (चर्चा अंक 2704) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    बाबा त्रिलोचन को नमन।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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