एक ही जयघोष जिंदगी जिंदाबाद
प्रख्यात व्यंग्यकार अविनाश वाचस्पति अन्नाभाई। ( चित्र - साभार ) |
जिन्दगी का रेशा-रेशा अक्श उकेरने में दुनिया भर की कलमें, कूचियां, सितार, वीणा, शहनाई, तबले और अभिव्यक्ति के न जाने कितने खुशनुमा औजार अनादि काल से जुटे हुए हैं। साहित्य, संगीत और कला की तमाम विधाएं जीवन को ही रुपायित करने के तो उपक्रम हैं ! इस क्रम में ऐसा कभी-कभी ही होता है कि कोई कलाकार अचानक मौत को सीधे-सीधे ललकारता दिखाई पड़ जाता हो। 19 जुलाई 2012 की सुबह यानि अभी-अभी फेसबुक पर ऐसा ही दुर्लभ नजारा दिखा जब प्रसिद्ध व्यंग्यकार अविनाश वाचस्पति अन्नाभाई की एक पोस्ट दिखी। उनकी आम चटाखेदार व्यंग्य चुटकी से थोड़ा हटकर, बाकायदा अंजुरी भर कविता-खुराक के रूप में। व्यंग्य का रंग तो अवश्य धरे हुए किंतु कथ्य और संदेश अपेक्षाकृत गंभीर और पुरअसर। प्रदीर्घ काव्यालाप। मुझे लगा कि इस स्वर में अपना समर्थन-राग अवश्य योग करना चाहिए, तत्काल कुछ पंक्तियां उतर आईं...
मौत को मार डाला
श्याम बिहारी श्यामल
वाह, कमाल कर दिया भाई अन्ना लाला...
व्यंग्य की धार से मौत को मार डाला...
एक-एक अरब की लिखी है एक-एक बात...
व्यंग्यकार के आगे दिख रही मृत्यु बेऔकात..
स्थगित करते हैं आज सारे वाद-विवाद..
एक ही जयघोष ' जिन्दगी जिंदाबाद '...
अरे ओ मुई मौत, संभल सके तो संभल...
मोर्चा खोल चुके आज अन्ना और श्यामल...
व्यंग्य की धार से मौत को मार डाला...
एक-एक अरब की लिखी है एक-एक बात...
व्यंग्यकार के आगे दिख रही मृत्यु बेऔकात..
स्थगित करते हैं आज सारे वाद-विवाद..
एक ही जयघोष ' जिन्दगी जिंदाबाद '...
अरे ओ मुई मौत, संभल सके तो संभल...
मोर्चा खोल चुके आज अन्ना और श्यामल...
अन्ना की कविता
अविनाश वाचस्पति अन्ना
अविनाश वाचस्पति अन्नाभाई की कार्टून-छवि। (साभार) |
मौत को अब तू मनाना सीख ले
बुलाए मौत तुरंत जाना सीख ले
मैं तैयार हूं
आ मौत, कर मेरा सामना
मैं नहीं करूंगा तुझे मना
डर कर नहीं लूंगा नाम तेरा
जानता हूं, मारना ही है काम तेरा
डराना भी तूने अब सीख लिया है
डरना नहीं है, जान ले, काम मेरा
आए लेने तो करियो मौत
पहले तू सलाम
कबूल करूंगा सलाम तेरा नहीं डरूंगा
भय की भीत पर मैं नहीं चढूंगा
कर लिया है तय
डर कर मैं एक बार भी नहीं मरूंगा
मारना चाहेगी तू मुझे मैं तब भी नहीं डरूंगा
मरूंगा, तैयार हूं मरने को
लेकिन जी हुजूरी
कभी नहीं करूंगा
न मौत की
न बीमारी की
न सुखों को काटने वाली आरी की
दुखों से करूंगा प्यार मैं, यारी करूंगा
लेकिन उधार लेकर नहीं मरूंगा
नियम यह मैंने तय किए हैं
तुझे न हों पसंद
नहीं पड़ता अंतर
जीवंतता से जीने का
यही है मेरा कारगर मंतर।
(कविता फेसबुक से साभार)
बुलाए मौत तुरंत जाना सीख ले
मैं तैयार हूं
आ मौत, कर मेरा सामना
मैं नहीं करूंगा तुझे मना
डर कर नहीं लूंगा नाम तेरा
जानता हूं, मारना ही है काम तेरा
डराना भी तूने अब सीख लिया है
डरना नहीं है, जान ले, काम मेरा
आए लेने तो करियो मौत
पहले तू सलाम
कबूल करूंगा सलाम तेरा नहीं डरूंगा
भय की भीत पर मैं नहीं चढूंगा
कर लिया है तय
डर कर मैं एक बार भी नहीं मरूंगा
मारना चाहेगी तू मुझे मैं तब भी नहीं डरूंगा
मरूंगा, तैयार हूं मरने को
लेकिन जी हुजूरी
कभी नहीं करूंगा
न मौत की
न बीमारी की
न सुखों को काटने वाली आरी की
दुखों से करूंगा प्यार मैं, यारी करूंगा
लेकिन उधार लेकर नहीं मरूंगा
नियम यह मैंने तय किए हैं
तुझे न हों पसंद
नहीं पड़ता अंतर
जीवंतता से जीने का
यही है मेरा कारगर मंतर।
(कविता फेसबुक से साभार)
अन्ना के तो हम भी फैन हैं।
जवाब देंहटाएंकोई कुछ भी माने, हम अन्ना के दीवाने...
हटाएंकर लिया है तय
जवाब देंहटाएंडर कर मैं एक बार भी नहीं मरूंगा
मारना चाहेगी तू मुझे मैं तब भी नहीं डरूंगा
मरूंगा, तैयार हूं मरने को
लेकिन जी हुजूरी
कभी नहीं करूंगा
न मौत की
न बीमारी की
न सुखों को काटने वाली आरी की
दुखों से करूंगा प्यार मैं, यारी करूंगा
लेकिन उधार लेकर नहीं मरूंगा
inspiring
आभार भावना जी..
हटाएंएक से तो निपट नहीं पा रहे थे
जवाब देंहटाएंये दो दो कहाँ से होकर आ रहे थे?
चाहे 'दो' आ रहे... संदेश एक ही ला रहे...
हटाएंमौत हो बर्बाद... जिंदगी जिंदाबाद...
सार्थक प्रण है अविनाश जी का, स्वास्थ्य लाभ की शुभकामनाएं|
जवाब देंहटाएंहमेशा अबाध व्यंग्य पगुराएं... अन्नाभाई सदा मुस्कुराएं...
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