बेटे विशाल के जन्‍म-दिन पर..


सोनभद्र के विख्‍यात अमिला वन में यात्रा के दौरान 31 मार्च 2014 को तृषांत सिंह।
बड़े सु-पुत्र तृषांत का आज जन्‍म-दिन  
दुलरुआ तृषांत 
बबुआ विशाल

जितना सरल उतना गहन प्रशांत 
संसार भर में अव्‍वल मेरा तृषांत

मम्‍मी सविता का वही दुलरुआ 
हमारा तो वह सदाबहार बबुआ

आंखों में वह दिन चमकता रहता 
सामने आया नवजात निरखता 

 न मंथन-विमर्श न कोई रूढि़ भाव 
मम्‍मी सविता का ही संज्ञा प्रस्‍ताव 

नेपाल में वह प्रथम युगल विचरण 
जहां जन्‍म-पूर्व विशाल नामकरण 

दादा-दादी से नाना-नानी की छवि
शुरू से वह कई आभाओं का रवि 

छाया रहे सदा गगन बन आह्लाद 
जन्‍म-दिवस पर आज यही संवाद 

ज्ञान, विवेक व सफलताओं की धार 
सिंचित करे सर्वदा सु-पुत्र का संसार  

काटते चलें हर संकट-संघर्ष का जाल 
कालजयी हों चिरंजीवी तृषांत विशाल
- श्‍याम बिहारी श्‍यामल
ग्‍यारह अप्रैल, वर्ष 2014
सोनभद्र के विख्‍यात अमिला वन में 31 मार्च 2014 को बाएं से छोटे सु-पुत्र निरंजनदेव सिंह, मैं, सविता जी और बड़े सु-पुत्र तृषांत।
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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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