यह महसूस हुए बगैर नहीं रह सका कि अपनी उपेक्षा से कैसे आज एक महत्ती रचनाकार कातर होकर इस कदर हत्संदर्भ होकर रह गया है कि उसे अपने क...
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जून 2012
कामायनी का हीरक-उत्सव
घर में दो दिन पहले से 'कामायनी' का मंचन देखने चलने की ललक क्रमश: गाढ़ा हो रही थी। सविता जी ही नहीं, तृषांत और निरंजन देव भी अपन...
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श्यामबिहारी श्यामल / कहानी : गीली मिठास
लाल बाबू ने हमेशा महसूस किया है कि ऊपर की कमाई भीतर से खंधारती चली जाती है... लगातार कमजोर और अपनी ही नजर में चोर बनाती हुई. किसी भ...
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