नग्म-ओ-नज़्म है खामोशी

ज़न्‍नत-ए-ग़ज़ल तो यहीं श्‍याम बिहारी श्‍यामल दु:ख जब कभी यहां आता है यूं ही नहीं लौट जाता है   गोकि रस-ओ-रंगत सब ज़िंदा  ...
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मंज़र-ए-हालात बहुत अच्छे नहीं थे

अब जो जीत रहे थे सब सच्चे नहीं थे श्याम बिहारी श्यामल   मंज़र-ए-हालात बहुत अच्छे नहीं थे अब जो जीत रहे थे सब सच्चे नहीं थे ...
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दुनिया में कहां कम ताहिल हैं

जो है सो यही अदना दिल है श्याम बिहारी श्यामल  सफ़र यही है यही मंज़िल है  जो है सो यही अदना दिल है धार यह सदाबह सदाबह...
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छाने न पाए भीतर तक मुर्दा सन्नाटा

हालात तो बदलेंगे श्याम बिहारी श्यामल  चाहे थोड़ी ही किंतु आग को जलाए रख   हालात तो बदलेंगे यकीं को बचाए रख कौन सुन रहा या...
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सांसें क्यों कई-कई घुट रही हैं

दिलफ़रेब हैं बेशक़ खूबसूरत ऊँचाइयां श्याम बिहारी श्यामल   रंगतें कई-कई बे-आवाज़ फूट रही हैं  हाथ लगाए बिना चीज़ें कई टूट रही है...
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ज़मीन को तरस रहे गुंबद

मंज़र कौन आधे और कौन समूचे श्याम बिहारी श्यामल   नक्स-ए-हालात वक़्त ने ग़ज़ब खींचे हैं ऊंट सब ऊपर हैं और पहाड़ नीचे हैं ज़माने...
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