झूठ झूठ है यह भी एक सच श्याम बिहारी श्यामल झूठ झूठ है यह भी एक सच है किसे इन्कार है चुनांचे सच और झूठ का झगड़ा ही बेकार है ...
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जनवरी 2019
नक़ली पंखों की उड़ान अजब-ग़ज़ब
क़ैद में परिंदे बहुत परेशान श्याम बिहारी श्यामल नीम हक़ीम जो खतरा-ए-जान थे कैसे वही अब पसंद-ए-जहान थे ज़ाहिर है बौनों को ...
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ज़ुनूं-ए-तस्दीक अब तो रोको यारो
जगह क़ुदरत ने बख्शी तीरगी के लिए श्याम बिहारी श्यामल कोई जीता है हैवानगी के लिए तो कोई मर जाता ज़िंदगी के लिए दलील ही कहां...
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नग्म-ओ-नज़्म है खामोशी
ज़न्नत-ए-ग़ज़ल तो यहीं श्याम बिहारी श्यामल दु:ख जब कभी यहां आता है यूं ही नहीं लौट जाता है गोकि रस-ओ-रंगत सब ज़िंदा ...
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मंज़र-ए-हालात बहुत अच्छे नहीं थे
अब जो जीत रहे थे सब सच्चे नहीं थे श्याम बिहारी श्यामल मंज़र-ए-हालात बहुत अच्छे नहीं थे अब जो जीत रहे थे सब सच्चे नहीं थे ...
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दुनिया में कहां कम ताहिल हैं
जो है सो यही अदना दिल है श्याम बिहारी श्यामल सफ़र यही है यही मंज़िल है जो है सो यही अदना दिल है धार यह सदाबह सदाबह...
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लोट रहे क़दमों में जो सब फायदे में थे यहां
कौन कहां कैसे यहां इत्मीनान से रह पाता श्याम बिहारी श्यामल मुमकिन कहां किसी का यहां अंजाम से छिपना था जो वक़्त था पल-पल उ...
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मंज़र कर रहे आगाह क़ामयाबी यह खतरेजां न बन जाए
जुनूं-ए-फ़तह-ए-क़ायनात खतरनाक़ श्याम बिहारी श्यामल तारीख़ भी ताज्जुब नहीं नई तरक्कियों से हैरां हो जाए खतरा लेकिन यह भी कहीं श...
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आस-पास की शक्लों को बदलते रहने दिया
हालात ने कई बार किया बेचैन श्याम बिहारी श्यामल ज़िंदगी को हिसाब-किताब कभी न बनने दिया उसे दरिया माना और चुपचाप बहने द...
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मैं पन्ने पलटता हूं मुझे पढ़ती है क़िताब
दूर खड़ा ताक रहा सहमा हुआ ज़वाब श्याम बिहारी श्यामल मैं पन्ने पलटता हूं मुझे पढ़ती है क़िताब मेरी ही आंखों से मुझे देख रहा है ख...
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दबी जुबां पूछती ज़िंदगी हमसे
शायद ही कोई राज़-ए-ज़हां पोशीदा रह जाएगा श्याम बिहारी श्यामल हमारे बनाए चांद-सूरज आसमां जब चमकाएगा अफ़सोस कोई खूबसूरत भर...
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दिन वह सबसे बुरा जब हर ओर हो पोशीदा चुप्पी
एहतराम उसका जो देखे हमें और जलने लगे श्याम बिहारी श्यामल ऐसा भी क्या हर कोई हमसे ही इश्क़ करने लगे एहतराम उसका जो देखे ह...
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हरकारे हैं हम दरअसल अपनी ही आदत से अब लाचार
रह-रह कर गूंज रही हांक हमारी श्याम बिहारी श्यामल यह तो पता है हमारे ग़ज़ल-ओ-नज़्म असर क्या दिखाएंगे जो महान किताबों से न डोले...
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छाने न पाए भीतर तक मुर्दा सन्नाटा
हालात तो बदलेंगे श्याम बिहारी श्यामल चाहे थोड़ी ही किंतु आग को जलाए रख हालात तो बदलेंगे यकीं को बचाए रख कौन सुन रहा या...
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सांसें क्यों कई-कई घुट रही हैं
दिलफ़रेब हैं बेशक़ खूबसूरत ऊँचाइयां श्याम बिहारी श्यामल रंगतें कई-कई बे-आवाज़ फूट रही हैं हाथ लगाए बिना चीज़ें कई टूट रही है...
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ज़मीन को तरस रहे गुंबद
मंज़र कौन आधे और कौन समूचे श्याम बिहारी श्यामल नक्स-ए-हालात वक़्त ने ग़ज़ब खींचे हैं ऊंट सब ऊपर हैं और पहाड़ नीचे हैं ज़माने...
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संग-ए-राह भूलें न हमें दिली अर्ज़ है
मुखड़ा अनजाना सामने किसका श्याम बिहारी श्यामल सबक-ए-घाटा तो फायदे में दर्ज़ है शुक्र-ए-अदायगी अब हमारा फ़र्ज़ है क़दम-क़दम ...
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दुश्वारियों से बेखबर हर फूल खिला था
क़ातिलों को भी पसंद था मसलना उन्हें श्याम बिहारी श्यामल कहीं लाल हरा तो कहीं नीला पीला था कौन-सा रंग डालों पर जो नहीं खि...
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परेशां-सा दिखा है जो भी शख्स यहाँ मिला
दरिया बिना पानी का था परबत हिला-डुला श्याम बिहारी श्यामल पत्थर पर उगा था अब तक है खिला-खिला अकेला छोड़ता कहां है कभी यह क...
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हौसला भी मुक़म्मल मक़बूल का घोड़ा
ताक़तवर शख्स कभी हक़ में न रहा श्याम बिहारी श्यामल दुश्वारियों ने कई बार हद को तोड़ा है शुक्र है उम्मीदों ने साथ नहीं छोड़ा ह...
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छत से टपकती माई-बाबूजी की आहट
ताकतीं दीवारें स्नेह-ममत्व से भर कर श्याम बिहारी श्यामल बेशक़ ईंट-पत्थरों का ही हमारा भी घर पर फिक्रमंद रहता बहुत आजकल अक्स...
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बाज़ार कुंजड़ों से घिरा था
इत्तिफाक यह या साज़िश कोई श्याम बिहारी श्यामल यहां-वहां खीरा ही खीरा था कौन पहचानता वह हीरा था इत्तिफाक यह या साज़िश कोई ...
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गुंबदों को अखरता नीला आसमान
कौन सचमुच यहां सबसे बड़ा श्याम बिहारी श्यामल हरेक के ऊपर एक तन कर खड़ा था कहां कौन सचमुच यहां सबसे बड़ा था गुंबदों को अ...
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ज़िंदगी इस दरियादिली के मुरीद हैं हम
हम कहां से चले और पहुंचे यहां तक श्याम बिहारी श्यामल हमें क्या-क्या न दिया और लिया कितना कम ज़िंदगी इस दरियादिली के मु...
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मुर्दे कुछ इस क़दर मुफीद थे माक़ूल थे
यह दौर कैसे बेज़ार इस तरह श्याम बिहारी श्यामल हर महक़मे को दिल-ओ-जां से कुबूल थे मुर्दे कुछ इस क़दर मुफीद थे माक़ूल थे ...
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चश्म-ए-इमारत कैसे चलते दो पाँवों पर फिदा
चौपाये छकड़ों से क्यों इलाके खूब बिदकते हैं श्याम बिहारी श्यामल पैदल बढ़ने पर दुकां-मकां साथ चलने लगते हैं दिल को जोड़ लेत...
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सवाल पुराने साल नया
संकल्प ही विकल्प श्याम बिहारी श्यामल आया क्या और क्या गया सवाल पुराने साल नया वक़्त बवंडर बेकाबू क्या-क्या न उसन...
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