आस-पास की शक्लों को बदलते रहने दिया


हालात ने कई बार किया बेचैन  

श्याम बिहारी श्यामल 

ज़िंदगी को हिसाब-किताब कभी न बनने दिया  
उसे दरिया माना और चुपचाप बहने दिया 

हालात ने कई बार बहुत बेचैन भी किया  
आंखें जब-जब भर आईं उन्हें छलकने दिया  

मन को कभी मनाया भी किया कभी छोड़ दिया 
भरोसा किया अपने रास्ते उसे चलने दिया 

रूह जब-तब जाग उठती या रोकती-टोकती 
कतई न रोका उसे उसका काम करने दिया

श्यामल जाने तेजी से बन जाते अनजाने 
आस-पास की शक्लों को बदलते रहने दिया 





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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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