दिन वह सबसे बुरा जब हर ओर हो पोशीदा चुप्पी


एहतराम उसका जो देखे हमें और जलने लगे 

श्याम बिहारी श्यामल 

ऐसा भी क्या हर कोई हमसे ही इश्क़ करने लगे  
एहतराम उसका जो देखे हमें और जलने लगे 

ऐसा भी हो एक शख्स जो इस क़दर करे नापसंद
देख हमें बेचैन हो उठे और राह बदलने लगे

कभी यह भी हो मुमकिन आईने का कंठ फूट जाए 
हम उसके पास पहुंचें और वह ताने भरने लगे 

दिन वह सबसे बुरा जब हर ओर हो पोशीदा चुप्पी 
दरिया चुपचाप बहता चले और रह-रह डरने लगे  

श्यामल अंधेरा हर हालत में है इस क़दर ज़रूरी 
रोशनी देख मन नाच उठे और चकमक करने लगे






Share on Google Plus

About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
    Blogger Comment
    Facebook Comment

1 comments:


  1. ऐसा भी हो एक शख्स जो इस क़दर करे नापसंद
    देख हमें बेचैन हो उठे और राह बदलने लगे...क्या बात है

    जवाब देंहटाएं