सवाल मुसलसल कैसे हम अब तक खड़े हैं

अचंभा बचे होने पर अपने   श्याम बिहारी श्यामल  क्या खाक़ सारे अफलातून बड़े-बड़े हैं  रोकने को खाक़सार के पांव पकड़े हैं   चाहत...
Read More

अज़ाब-ओ-खामोशी सब खुशरंग ढलते हैं

हम बताएं अपनी बख्त़-ओ-फितरत अब यहां   श्याम बिहारी श्यामल   गमो,  तुम्हारी लाचारी खूब समझते हैं   यूं ही नहीं हम तुम्हें ग़ज़ल...
Read More

उन्हें यकीं लूटेंगे यकीं-ए-ज़हां

हर गांव जैसे मुर्दों का था टीला श्याम बिहारी श्यामल   सरेसफ़र हुज़ूम-ए-फ़क़ीर था मिला यह तो ठगों का मुसलसल था क़ाफ़िला   उन्हे...
Read More
कील ठहरे पर ठुका न गया १६ दर-ए-इब्लीस रुका न गया १६ थोड़ा झुकना फ़ायदा बहुत १६ ज़रूरत भी, पर झुका न गया १६ गुफ़ा से जाना था खज़ाना १६ बेप...
Read More

समझ गया मैं इस दौलत से वह कंगाल कर देगा

फूंक ने आंधी को उड़ाया श्याम बिहारी श्यामल   राह रोक वह कहता रहा मालामाल कर देगा    पता हमें नीयत-ओ-ईमां सब पामाल कर देगा   ...
Read More

ग़ज़ब चर्चा-ए-फ़लसफ़ा है यहां-वहां

ज़हां अल्फाज़ी ज़िंदगी हवा-हवाई श्याम बिहारी श्यामल  बातों में जिनकी मिसालें हैं औ' दुहाई है   आमाल में झलक कहां इनकी कभी आ...
Read More

चूम रहे अभी कैसे हर पगडंडी-पाथ

कोई नागनाथ है तो कोई सांप नाथ   श्याम बिहारी श्यामल   मैदान मारने को कोई किसी के साथ  शर्त यह केवल कि हुकूमत आ जाए हाथ   ...
Read More

चेहरे अनेक, सब के सब एक

आसिम उनकी चाहत है बहुत श्याम बिहारी श्यामल   सब जानते सियासत हैं बहुत उनकी बीन में ताक़त है बहुत बजाएं तो नचा दें हरेक को...
Read More

नोचो नक़ाब उनके

करो पहल अभी शुरू  श्याम बिहारी श्यामल  नोचो नक़ाब उनके खूनी ख्व़ाब जिनके  डूब जाने दो अभी  दो न कतई तिनके वक़्त जब स...
Read More

दोस्त-ओ-दुश्मन की शिनाख्त हो कैसे

अफ़सुर्दा था वह औ' क़ैद-ए-लब  श्याम बिहारी श्यामल   ज़ेहन में जिसके सच के सिवा सब था  उसके ज़ुबानी सच का क्या मतलब था ...
Read More

ज़िंदगी टेढ़ी चाल न चल

शर्तबाजी अब क़ुबूल नहीं  श्याम बिहारी श्यामल   आजिज़ हम, तू अब तो संभल  ज़िंदगी टेढ़ी चाल न चल अपनी शर्त पर तू , यह प...
Read More

यह जंग है इसमें क्या उम्मीद-ए-अतफ़

मशहूर क़लम पर यह स्याही कैसी श्याम बिहारी श्यामल   आओ रंज़-ओ-गम करें तुरंत एक तरफ जोड़ें दिल-ए-ज़बान से नया एक हरफ जिसे लगता...
Read More

रंग डालिए बना दीजिए हर शै को रंगीन

क़ुदरत ने पहले बेशक़ रंग ही बनाए श्याम बिहारी श्यामल  बच न पाए कहीं कुछ भी  कोई  ज़रा भी संगीन   रंग डालिए बना दीजिए हर शै को...
Read More

सुकूं-ए-दिल कहां ज़ोर-ए-इलम है

पेशतर धुंध क्यों अब भी हरदम  श्याम बिहारी श्यामल   इस क़दर भी कैसे चश्म-ए-गम है  समंदर इससे कितना यहां कम है  ज़माने ने बद...
Read More

रात भर ज़ार-ज़ार रोई है शब

वक्त बवंडर कहां फुर्सत देता   श्याम बिहारी श्यामल   रात भर ज़ार-ज़ार रोई है शब सुबह अश्क़पाक़ अभी हुई है तब  हवाएं चश्मदीद ह...
Read More

दिल जो अपने रंग वही राह चल रहा था

चश्म-ओ-चिराग सवालों से गुम   श्याम बिहारी श्यामल  नक्श-ए-ज़हां कुछ इस क़दर बारफ्तार बदल रहा था  अंदाज़-ए-तरक्क़ी यह शक़-ओ-सुब्हा...
Read More

आतिश-ए-गुल यह जला दे न कहीं सारा ज़हां

बेचैनी जो उस तरह बेचैन भी नहीं  श्याम बिहारी श्यामल   जो है सो यह रौनक-ए-अंदाज़-ओ-अदा है  दिखे जो भी दरहक़ीक़त यही ग़ज़लकदा है ...
Read More

चमक रहे जो अब तक भयावह रहे थे

क्यों हम उसके साथ बह रहे थे श्याम बिहारी श्यामल   तरक्क़ी दिन दूनी रात चौगुनी कर वह रहे थे  जो रात को दिन व दिन को रात खुलकर ...
Read More

बदला अब रंग-ए-जुलूस-ओ-हुज़ूं

आलम-ए-फरेब ज़ेरे गौर करना श्याम बिहारी श्यामल   तय अगर कर ही लिया सच-सच कहना तो अब कुबूल भी कर हाशिये रहना गोकि ...
Read More

अंदर यह मुंसिफ है जो

शोर भीतर ही मचा है  श्याम बिहारी श्यामल   ज़िल्लत से कहां बचा है  चोर कितना भी छुपा है ज़हां से लाख पोशीदा  शोर भीतर ह...
Read More

टहल रहा डर बिना किसी डर

ज़िंदादिली ज़िंदा थी कहां   श्याम बिहारी श्यामल   हालात ऐसे अब पेशतर शीशे से सहमा था पत्थर  ज़िंदादिली ज़िंदा थी कहां  टहल...
Read More

खुशअल्फाज़ में भी उनके ज़हर

दिमाग को खोल आस्मां से उतर   श्याम बिहारी श्यामल   करामात-ए-खुदकशी भी न कर   घर शीशे का है पत्थर से डर  वक़्त रहते अग़र सं...
Read More

सन्नाटो, संभल कर रहना

चाक सिखला रहा उसे मूरत बनना श्याम बिहारी श्यामल   जान गए बे-लफ्ज़ गुफ्तगू करना मगरूर सन्नाटो, संभल कर रहना  क़द सामने खड़ा ...
Read More

इल्म हासिल चेहरा अब बदल लेने का

पल-पल बदलते दिख रहे हैं चेहरे  श्याम बिहारी श्यामल  सब कुछ उलट-पलट दे यह बवंडर न कहीं  दरियाफ्त करूं  मैं  अपनी जगह हूं ...
Read More