अचंभा बचे होने पर अपने श्याम बिहारी श्यामल क्या खाक़ सारे अफलातून बड़े-बड़े हैं रोकने को खाक़सार के पांव पकड़े हैं चाहत...
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मार्च 2019
अज़ाब-ओ-खामोशी सब खुशरंग ढलते हैं
हम बताएं अपनी बख्त़-ओ-फितरत अब यहां श्याम बिहारी श्यामल गमो, तुम्हारी लाचारी खूब समझते हैं यूं ही नहीं हम तुम्हें ग़ज़ल...
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उन्हें यकीं लूटेंगे यकीं-ए-ज़हां
हर गांव जैसे मुर्दों का था टीला श्याम बिहारी श्यामल सरेसफ़र हुज़ूम-ए-फ़क़ीर था मिला यह तो ठगों का मुसलसल था क़ाफ़िला उन्हे...
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मौज़ूदगी यह किसी को क्यों हज़म नहीं होती
ज़ेरे आतिश सोना, पर चश्म नम नहीं श्याम बिहारी श्यामल मौज़ूदगी यह किसी को क्यों हज़म नहीं होती दुश्वारी है कि चुनांचे...
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कील ठहरे पर ठुका न गया १६ दर-ए-इब्लीस रुका न गया १६ थोड़ा झुकना फ़ायदा बहुत १६ ज़रूरत भी, पर झुका न गया १६ गुफ़ा से जाना था खज़ाना १६ बेप...
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समझ गया मैं इस दौलत से वह कंगाल कर देगा
फूंक ने आंधी को उड़ाया श्याम बिहारी श्यामल राह रोक वह कहता रहा मालामाल कर देगा पता हमें नीयत-ओ-ईमां सब पामाल कर देगा ...
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ग़ज़ब चर्चा-ए-फ़लसफ़ा है यहां-वहां
ज़हां अल्फाज़ी ज़िंदगी हवा-हवाई श्याम बिहारी श्यामल बातों में जिनकी मिसालें हैं औ' दुहाई है आमाल में झलक कहां इनकी कभी आ...
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चूम रहे अभी कैसे हर पगडंडी-पाथ
कोई नागनाथ है तो कोई सांप नाथ श्याम बिहारी श्यामल मैदान मारने को कोई किसी के साथ शर्त यह केवल कि हुकूमत आ जाए हाथ ...
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चेहरे अनेक, सब के सब एक
आसिम उनकी चाहत है बहुत श्याम बिहारी श्यामल सब जानते सियासत हैं बहुत उनकी बीन में ताक़त है बहुत बजाएं तो नचा दें हरेक को...
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अब तो मुश्किल ही हो चला उन्हें संभाल पाना
शेरदिलों को करूं खबरदार श्याम बिहारी श्यामल बेहद पसंद था जिस शख्स को शेरदिल कहलाना देखने लायक था सामने आते उसका हकलान...
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नोचो नक़ाब उनके
करो पहल अभी शुरू श्याम बिहारी श्यामल नोचो नक़ाब उनके खूनी ख्व़ाब जिनके डूब जाने दो अभी दो न कतई तिनके वक़्त जब स...
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दोस्त-ओ-दुश्मन की शिनाख्त हो कैसे
अफ़सुर्दा था वह औ' क़ैद-ए-लब श्याम बिहारी श्यामल ज़ेहन में जिसके सच के सिवा सब था उसके ज़ुबानी सच का क्या मतलब था ...
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ज़िंदगी टेढ़ी चाल न चल
शर्तबाजी अब क़ुबूल नहीं श्याम बिहारी श्यामल आजिज़ हम, तू अब तो संभल ज़िंदगी टेढ़ी चाल न चल अपनी शर्त पर तू , यह प...
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यह जंग है इसमें क्या उम्मीद-ए-अतफ़
मशहूर क़लम पर यह स्याही कैसी श्याम बिहारी श्यामल आओ रंज़-ओ-गम करें तुरंत एक तरफ जोड़ें दिल-ए-ज़बान से नया एक हरफ जिसे लगता...
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रंग डालिए बना दीजिए हर शै को रंगीन
क़ुदरत ने पहले बेशक़ रंग ही बनाए श्याम बिहारी श्यामल बच न पाए कहीं कुछ भी कोई ज़रा भी संगीन रंग डालिए बना दीजिए हर शै को...
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सुकूं-ए-दिल कहां ज़ोर-ए-इलम है
पेशतर धुंध क्यों अब भी हरदम श्याम बिहारी श्यामल इस क़दर भी कैसे चश्म-ए-गम है समंदर इससे कितना यहां कम है ज़माने ने बद...
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पहिया घूम जो रहा बढ़ता क्यों नहीं
बाग उदास, बागवान बाग-बाग है श्याम बिहारी श्यामल पल-पल भिगो रही, कैसी यह आग है लपटों से छू रहा, ग़ज़ब यह राग है देखते ...
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रात भर ज़ार-ज़ार रोई है शब
वक्त बवंडर कहां फुर्सत देता श्याम बिहारी श्यामल रात भर ज़ार-ज़ार रोई है शब सुबह अश्क़पाक़ अभी हुई है तब हवाएं चश्मदीद ह...
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दिल जो अपने रंग वही राह चल रहा था
चश्म-ओ-चिराग सवालों से गुम श्याम बिहारी श्यामल नक्श-ए-ज़हां कुछ इस क़दर बारफ्तार बदल रहा था अंदाज़-ए-तरक्क़ी यह शक़-ओ-सुब्हा...
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आतिश-ए-गुल यह जला दे न कहीं सारा ज़हां
बेचैनी जो उस तरह बेचैन भी नहीं श्याम बिहारी श्यामल जो है सो यह रौनक-ए-अंदाज़-ओ-अदा है दिखे जो भी दरहक़ीक़त यही ग़ज़लकदा है ...
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चमक रहे जो अब तक भयावह रहे थे
क्यों हम उसके साथ बह रहे थे श्याम बिहारी श्यामल तरक्क़ी दिन दूनी रात चौगुनी कर वह रहे थे जो रात को दिन व दिन को रात खुलकर ...
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बदला अब रंग-ए-जुलूस-ओ-हुज़ूं
आलम-ए-फरेब ज़ेरे गौर करना श्याम बिहारी श्यामल तय अगर कर ही लिया सच-सच कहना तो अब कुबूल भी कर हाशिये रहना गोकि ...
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अंदर यह मुंसिफ है जो
शोर भीतर ही मचा है श्याम बिहारी श्यामल ज़िल्लत से कहां बचा है चोर कितना भी छुपा है ज़हां से लाख पोशीदा शोर भीतर ह...
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टहल रहा डर बिना किसी डर
ज़िंदादिली ज़िंदा थी कहां श्याम बिहारी श्यामल हालात ऐसे अब पेशतर शीशे से सहमा था पत्थर ज़िंदादिली ज़िंदा थी कहां टहल...
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खुशअल्फाज़ में भी उनके ज़हर
दिमाग को खोल आस्मां से उतर श्याम बिहारी श्यामल करामात-ए-खुदकशी भी न कर घर शीशे का है पत्थर से डर वक़्त रहते अग़र सं...
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सन्नाटो, संभल कर रहना
चाक सिखला रहा उसे मूरत बनना श्याम बिहारी श्यामल जान गए बे-लफ्ज़ गुफ्तगू करना मगरूर सन्नाटो, संभल कर रहना क़द सामने खड़ा ...
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इल्म हासिल चेहरा अब बदल लेने का
पल-पल बदलते दिख रहे हैं चेहरे श्याम बिहारी श्यामल सब कुछ उलट-पलट दे यह बवंडर न कहीं दरियाफ्त करूं मैं अपनी जगह हूं ...
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