कौन हैं हम , कभी तारीख से पूछ लेना


भिड़ा तो फिर तेरी निशानी  न बचेगी 

श्याम बिहारी श्यामल 

रंगत-ए-उल्फ़त-ए-इंसानियत कायम रहेगी  
दहशत से सीधी जंग मेरी यह आगे बढ़ेगी

सालों तक खून का घूंट पिया बहुत बर्दाश्त किया 
तुमने ललकारा है अब तेरी तबाही मचेगी 

छुप-छुप कर वार किए हमें बरगलाते रहे
लेकिन आगे यह दगाबाज़ी अब तनिक न चलेगी  

'पाक़' को तुमने गंदा कर दिया अच्छा नहीं किया
इसकी क़ीमत तुम्हें हर हाल में देनी पड़ेगी

श्यामल कौन हैं हम , कभी तारीख से पूछ लेना 
सबको पता भिड़ा तो फिर तेरी निशानी  न बचेगी 








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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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1 comments:


  1. छुप-छुप कर वार किए हमें बरगलाते रहे
    लेकिन आगे यह दगाबाज़ी अब तनिक न चलेगी
    ....

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