इल्म हासिल चेहरा अब बदल लेने का


पल-पल बदलते दिख रहे हैं चेहरे 

श्याम बिहारी श्यामल 

सब कुछ उलट-पलट दे यह बवंडर न कहीं 
दरियाफ्त करूं मैं अपनी जगह हूं कि नहीं

करवट लेते कभी डरा देती सांस  अपनी 
शक़ जाग जाता है यह धमाका तो नहीं

इल्म हासिल चेहरा अब बदल लेने का 
बहरुपिए खुश मुखौटा ज़रूरी ही नहीं 

सच को गलत व गलत को सच होते देखा 
अब सीधे जांचते क्या-कितना-कैसा सही 

श्यामल बनकर जो शख्स आया था मिलने
पूछ लिया वह हंसता-रोता है कि नहीं




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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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1 comments:


  1. इल्म हासिल चेहरा अब बदल लेने का
    बहरुपिए खुश मुखौटा ज़रूरी ही नहीं
    ...kya baat 👌👌kya baat 😊😊

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