बहस-ओ-दलील अब यहां आंय-बांय-सांय


जादू यह या किस्सा-ए-अय्यार कोई

श्याम बिहारी श्यामल 

तालीम संग क्यों बढ़ते रहे मुश्किलात
कहां कम पहेली से दरपेश हालात 

बहस-ओ-दलील अब यहां आंय-बांय-सांय 
खुलकर खुलेआम ही बे-सिर-पैर बात 

कहां से चूक और कैसे यह भूल हुई 
अंदाज़-ए-तरक्क़ी लगने लगा घात

जादू यह या किस्सा-ए-अय्यार कोई
आंख दिखा रहे खुद के गढ़े अलामात 

श्यामल पुरसुकूं कहूं या खेल ख़तरनाक़ 
दिन को दिन न छोड़ा न ही रात को रात 







  
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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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