सुकूं-ए-दिल कहां ज़ोर-ए-इलम है


पेशतर धुंध क्यों अब भी हरदम 

श्याम बिहारी श्यामल 

इस क़दर भी कैसे चश्म-ए-गम है 
समंदर इससे कितना यहां कम है 

ज़माने ने बदले हैं रंग सारे 
पेशतर धुंध क्यों अब भी हरदम है  

अब्र-ए-ऐश बेशक़ बेहिसाब जब 
दम-ए-ज़िंदगी क्यों आखिर अदम है 

क्या-क्या नहीं कर रही है मशीं यहां   
सुकूं-ए-दिल कहां ज़ोर-ए-इलम है 

दौर-ए-अब्तर नज्र उल्फ़त श्यामल 
अमलन अभी भी आब-ए-ज़मज़म है 

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अब्र = बादल 
अदम = अस्तित्वहीन 
इलम = इल्म, ज्ञान, विज्ञान 
अब्तर = बिखरा हुआ 
अमलन = सत्यता पूर्वक 






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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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1 comments:


  1. अब्र-ए-ऐश बेशक़ बेहिसाब जब
    दम-ए-ज़िंदगी क्यों आखिर अदम है...वाह

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