अंदाज़-ओ-लहज़ दे देते नीयत का पता

क्या कहूं हाल  अपना  अब जो आमद हुआ है  श्याम बिहारी श्यामल   बेअदब बेक़द्र बेमुरव्वत बेहद हुआ है  आईना मेरा जबसे आदमक़द हुआ है...
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सूरज से पूछियेगा क्या है लाल रंग

सवाल मुल्तवी रख फ़तेह का अभी श्याम बिहारी श्यामल   सच जानेंगे तो आप रह जायेंगे दंग   सूरज से पूछियेगा क्या है लाल रंग   क...
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ज़िंदगी ने बेशक़ ज़ख्म ही ज़ख्म नहीं दिए

सामने मक़सद एक नई दुनिया तराशना श्याम बिहारी श्यामल   पैग़ाम-ए-क़ायनात नए पल संवारना  गड़े ग़म खोज-खोज ऐसे में  क्या  उखाड़ना  ...
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कौन डाल रहा है जान इस नक्श के भीतर

आब-ए-तल्ख़ के बने हैं हमारे हालात श्याम बिहारी श्यामल   ब्रश, रंग, हाथ या दिमाग, किसकी करामात   कैनवास भौंचक, सुन तस्वीर के स...
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दम भर ज़हर बेसाख्ता पिया

दर्द की नदी ने यूं जन्म लिया श्याम बिहारी श्यामल  अहसास को दिल का मुक़ाम दिया है   सरेग़ज़ल हमने उसे ही जिआ है   मन परबत रख...
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कोई तो दुश्मन क़ायदे का हो

दोस्ती के नए-नए रंग खिल रहे श्याम बिहारी श्यामल  तिज़ारत एक बिना फायदे का हो   कोई तो दुश्मन क़ायदे का हो  गाल फुलाएं या आ...
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लूटा आसमां को किसने

असलहा चिह्न-ए-समीना   श्याम बिहारी श्यामल   ज़ोर-ए-बाज़ू जब जीना  सूखे क्योंकर यह पसीना  क्या आबे ज़न्नत, क्या ज़हर  ज़िन्द...
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मुंह खून लगा ऐसा इस ज़माने को

गनीमत है आँखों में अभी पानी है   श्याम बिहारी श्यामल   ज़िन्दाज़ेहनी की ज़िंदा निशानी है  गनीमत है आँखों में अभी पानी है   ...
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चांद भटक रहा किसकी तलाश में

हिज़रत यूं कैसे पुरसुकूं श्याम बिहारी श्यामल   सफ़र आखिर किस वस्ल की आस में    चांद भटक रहा किसकी तलाश में       सरक गयीं ...
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खुराफ़ात कतई नहीं खराद-ए-ताक़त

हमने देखे हैं एक से एक बवंडर श्याम बिहारी श्यामल   आंधियों को मशविरा, तमाशा न बनाएं   कभी कुछ गढ़ा हो तो हमें ज़रा बताएं   ...
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रोती हैं बुलंदियां ज़ार-ज़ार

ज़मीं पर उतरना है, यहां से कौन रास्ता श्याम बिहारी श्यामल  सन्नाटे से कब तक दिखाए कोई प्यार     मन ही मन रोती हैं बुलंदियां ज़...
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बटखरा सहमा हुआ, खुद तुल न जाए कहीं

कैसा दौर-ए-फ़रेब ज़ुल्मतक़दा श्याम बिहारी श्यामल   तराजू खबरदार, भेद खुल न जाए कहीं बटखरा सहमा हुआ, खुद तुल न जाए कहीं तौलन...
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आग को सब हवा देंगे

सच तो सच आख़िर   श्याम बिहारी श्यामल   एक दिन सब दगा देंगे  आग को सब हवा देंगे  क्या अंदाम, क्या चमन वह  हाथ सारे छुड़...
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कौंध-ए-दिल आतिशी ग़ज़ब, खुशबू की तरह अश'आर

गुल-ए-ज़ज़्ब नायाब, मौलवी कैसे खोजे मानी श्याम बिहारी श्यामल  शिकस्त-ए-संगदिली का मंज़र अज़ब बनते देखा   जानिब-ए-कांच पत्थर ...
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फिर वही दुर्योधन वही दुशासन अड़े

कैसे तेरे साथ कृष्ण हरदम नहीं श्याम बिहारी श्यामल  सामने ज़ंग महाभारत से कम नहीं अफ़सोस साथ में केशव का दम नहीं   फिर वही ...
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रंग कितने  अंधेरे के भीतर श्याम बिहारी श्यामल   ख्व़ाब देखता हमें, गीत गाता है मुझे  ग़ज़ल इस फ़ज़ल पर   शुक्रिया कहूं मैं तुझे ...
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ओ दुनिया को रुलाने वाले..

बेशक तुम शिकंजाकश रहे  श्याम बिहारी श्यामल   दु:ख तुम जितना ही हंस रहे  दरहक़ीक़त उतना फंस रहे ओ दुनिया को रुलाने वाले ...
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हंसो हंसो हंसो जि़या ज़ानिबे अब दिल जाए

मुस्‍कान उड़ान भरे और आस्‍मां पर बिछ जाए श्‍याम बिहारी श्‍यामल   गम संग सन्‍नाटा मिट्टी में तुरंत मिल जाए हंसो हंसो हंसो...
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आंखों को ही क़ुबूल कहां दिन-रात ग़मज़दा रोना

ख़ुशी के नन्हे संदल को क्यों न खोज निकालें अभी श्याम बिहारी श्यामल   सूरज को मंज़ूर कब किसी दिन ग़ैरहाज़िर होना  अंधेरे को मयस्स...
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लाखों साल में यह तस्वीर-ए-ज़हां लहराई

आब आतिश से आया, आग पानी ने जलाई  श्याम बिहारी श्यामल  तहज़ीब अचानक बनी न किसी एक ने बनाई  रोशनी-ए-इल्म दूर से आते-आते आई  ...
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भूलो मत दुनिया बदलने का ख्व़ाब

अल्फाज़ में आग असल भरोगे क्या श्याम बिहारी श्यामल   साथी, बन कर समंदर करोगे क्या  आब-ए-तर भी प्यासा मरोगे क्या  भूलो मत ...
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सारा आसमान वह अछोर अदम

खूबसूरत भरम है वह बुलंदी  श्याम बिहारी श्यामल   आशियां कहीं कोई नहीं ऊपर  चांद-सूरज तक भटक रहे बेघर  छुआ-टटोला जा चुक...
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दिलदेश यह क़ाईदे यहां अपने ज़ुदा

    ज़र्रे-ज़र्रे में रवां चांदनी-सी ज़ान श्‍याम बिहारी श्‍यामल शज़र-ए-ज़न्‍नत यह पल-पल नए अरमान मोहब्‍बत यह, जवां हर लम्‍ह...
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पत्थर को छुआ-जांचा, मुक़म्मल कपास था

दुनिया भौचक, शाइर कतई नहीं हैरान    श्याम बिहारी श्यामल   संगदुनिया में ग़ज़ब मंज़र आस पास था    पत्थर को छुआ-जांचा, मुक़म्मल कप...
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