कोई तो दुश्मन क़ायदे का हो

दोस्ती के नए-नए रंग खिल रहे श्याम बिहारी श्यामल  तिज़ारत एक बिना फायदे का हो   कोई तो दुश्मन क़ायदे का हो  गाल फुलाएं या आ...
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लूटा आसमां को किसने

असलहा चिह्न-ए-समीना   श्याम बिहारी श्यामल   ज़ोर-ए-बाज़ू जब जीना  सूखे क्योंकर यह पसीना  क्या आबे ज़न्नत, क्या ज़हर  ज़िन्द...
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रंग कितने  अंधेरे के भीतर श्याम बिहारी श्यामल   ख्व़ाब देखता हमें, गीत गाता है मुझे  ग़ज़ल इस फ़ज़ल पर   शुक्रिया कहूं मैं तुझे ...
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हंसो हंसो हंसो जि़या ज़ानिबे अब दिल जाए

मुस्‍कान उड़ान भरे और आस्‍मां पर बिछ जाए श्‍याम बिहारी श्‍यामल   गम संग सन्‍नाटा मिट्टी में तुरंत मिल जाए हंसो हंसो हंसो...
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आंखों को ही क़ुबूल कहां दिन-रात ग़मज़दा रोना

ख़ुशी के नन्हे संदल को क्यों न खोज निकालें अभी श्याम बिहारी श्यामल   सूरज को मंज़ूर कब किसी दिन ग़ैरहाज़िर होना  अंधेरे को मयस्स...
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लाखों साल में यह तस्वीर-ए-ज़हां लहराई

आब आतिश से आया, आग पानी ने जलाई  श्याम बिहारी श्यामल  तहज़ीब अचानक बनी न किसी एक ने बनाई  रोशनी-ए-इल्म दूर से आते-आते आई  ...
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भूलो मत दुनिया बदलने का ख्व़ाब

अल्फाज़ में आग असल भरोगे क्या श्याम बिहारी श्यामल   साथी, बन कर समंदर करोगे क्या  आब-ए-तर भी प्यासा मरोगे क्या  भूलो मत ...
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सारा आसमान वह अछोर अदम

खूबसूरत भरम है वह बुलंदी  श्याम बिहारी श्यामल   आशियां कहीं कोई नहीं ऊपर  चांद-सूरज तक भटक रहे बेघर  छुआ-टटोला जा चुक...
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