मुल्क किसी भी जां-ओ-ज़हां से बड़ा है


रगों में शहादत-ए-भगत-ओ-अशफाक़

श्याम बिहारी श्यामल 

ज़ज्ब यह ज़मीं से आकाश तक खड़ा है 
मुल्क किसी भी जां-ओ-ज़हां से बड़ा है 

रगों में शहादत-ए-भगत-ओ-अशफाक़ 
माथे नगमा-ए-सरफरोशी जड़ा है 

मिसाल-ए-तारीख़ सरेआम है यहां 
गर्दन खुद उतारी,  जी कुछ यूं कड़ा है 

तराना-ए-वतन दिल से गा तो साथी 
हर लफ्ज़ के भीतर अमृत का घड़ा है 

श्यामल हैरत है दूब पर इतने मोती 
क्यों यह चश्म-ए-आकाश  रात भर झड़ा है 








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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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