आईना कहां दूध का धुला है

                                   


नगमा-ए-वक़्त गर्द-ओ-गुब्बार

श्याम बिहारी श्यामल 

सवाल अब तो यह खुल्लमखुला है
आईना कहां दूध का धुला है

मुंहदेखी बातें उलट-गवाही
ज़माना कैसे यह सब भूला है

कर रहा जो सच की पैरोकारी
झूठ क्यों उसमें इस क़दर घुला है

नगमा-ए-वक़्त गर्द-ओ-गुब्बार 
ज़ेरे ग़ज़ल बहुत हल्लागुल्ला है 

श्यामल लबे सड़क होश फाख्ता मैं 
हर चश्मदीद बेज़ान झूला है 





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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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1 comments:

  1. मुंहदेखी बातें उलट-गवाही
    ज़माना कैसे यह सब भूला है...वाह वाह

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