उन्हें यकीं लूटेंगे यकीं-ए-ज़हां


हर गांव जैसे मुर्दों का था टीला

श्याम बिहारी श्यामल 

सरेसफ़र हुज़ूम-ए-फ़क़ीर था मिला
यह तो ठगों का मुसलसल था क़ाफ़िला  

उन्हें यकीं लूटेंगे यकीं-ए-ज़हां 
सो लिबास-ए-पीर हरेक था निकला 

दीन-ओ-ईमान जुबां ख़ुदा का वास्ता 
फ़रेब का उनके लंबा था सिलसिला 

आसपास कुछ लोग बेशक़ थे वाक़िफ़ 
पर किसी को कहां था फुर्सत-ए-गिला 

श्यामल यह हाल था दुनिया का अब तो
हर गांव जैसे मुर्दों का था टीला






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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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