लम्बी कविता हवा में कीलें श्याम बिहारी श्यामल ।। 1 ।। अक्षर-अक्षर हिलते हैं हिल-हिलकर सटते हैं और छिट...
Read More
Home
Archive for
मई 2012

सांसत में हमारा शब्द-संसार
स्मृतिशेष, स्मृतियां अशेष ::::: महाकवि जानकीवल्लभ हमारा साहित्य क्षेत्र सांसत और सीलन से इसलिए भरा हुआ है क्योंकि इसे अंधेरे ...
Read More

बनारस पर कहानी :::: चना चबेना गंगजल / श्यामबिहारी श्यामल
‘‘ बाबा! इस शरीर से निकलने वाला हर पदार्थ घृणित व दुर्गंधपूर्ण है. आप खुद सोचकर देखिये न! नाक से, कान से, आंखों से य...
Read More
सदस्यता लें
संदेश
(
Atom
)