श्याम बिहारी श्यामल की गजल : देखेंगे ज़रूर तेल और तेल की धार भी


देखेंगे तेल और तेल की धार भी 


हमें उनसे भी हमदर्दी है और वही प्यार भी 
हमारे नाम से जिन्हें आता है गुस्सा बुखार भी 

गो कि पीठ पीछे की उनकी हर बात पहुंचती है 
झेंपें न वह अब इस पर या कभी हों न शर्मसार भी 

बहर रदीफ़ क़ाफिया की कहां कोई परवाह हमें 
अदब तो दोस्त है वैसे ही गज़ल-ओ-अश'आर भी 

अपना घर जारने को तैयार कोई कहां लुकाठी वाला
इस बात को समझ रहा है जमाना और बाज़ार भी 

श्यामल नाम मिटा देंगे ऐसा गर लगता हो उन्हें
हम भी देखेंगे ज़रूर तेल और तेल की धार भी

श्याम बिहारी श्यामल 
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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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1 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (24-09-2018) को "गजल हो गयी पास" (चर्चा अंक-3104) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    राधा तिवारी

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