क्या कहूं हाल अपना अब जो आमद हुआ है श्याम बिहारी श्यामल बेअदब बेक़द्र बेमुरव्वत बेहद हुआ है आईना मेरा जबसे आदमक़द हुआ है...
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मई 2019
सूरज से पूछियेगा क्या है लाल रंग
सवाल मुल्तवी रख फ़तेह का अभी श्याम बिहारी श्यामल सच जानेंगे तो आप रह जायेंगे दंग सूरज से पूछियेगा क्या है लाल रंग क...
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ज़िंदगी ने बेशक़ ज़ख्म ही ज़ख्म नहीं दिए
सामने मक़सद एक नई दुनिया तराशना श्याम बिहारी श्यामल पैग़ाम-ए-क़ायनात नए पल संवारना गड़े ग़म खोज-खोज ऐसे में क्या उखाड़ना ...
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गुल जिन्हें चुभे ताज़िंदगी नहीं संभले हैं
खाक़ जो हुए दरअसल चांदनी से जले हैं श्याम बिहारी श्यामल राह-ए-ज़िंदगी में मंज़र क्या-क्या चले हैं गुल जिन्हें चुभे ताज़िंदगी...
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कौन डाल रहा है जान इस नक्श के भीतर
आब-ए-तल्ख़ के बने हैं हमारे हालात श्याम बिहारी श्यामल ब्रश, रंग, हाथ या दिमाग, किसकी करामात कैनवास भौंचक, सुन तस्वीर के स...
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अटारी से पिटारी में चांद वह उतार रहा
ग़ज़ल की हद से अब निकलो भी बाहर श्याम बिहारी श्यामल तमाशबीन हैं, हक़ीक़त से जिन्हें प्यार रहा चुनांचे परेशान ही नहीं, सच अब हा...
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दम भर ज़हर बेसाख्ता पिया
दर्द की नदी ने यूं जन्म लिया श्याम बिहारी श्यामल अहसास को दिल का मुक़ाम दिया है सरेग़ज़ल हमने उसे ही जिआ है मन परबत रख...
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कोई तो दुश्मन क़ायदे का हो
दोस्ती के नए-नए रंग खिल रहे श्याम बिहारी श्यामल तिज़ारत एक बिना फायदे का हो कोई तो दुश्मन क़ायदे का हो गाल फुलाएं या आ...
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लूटा आसमां को किसने
असलहा चिह्न-ए-समीना श्याम बिहारी श्यामल ज़ोर-ए-बाज़ू जब जीना सूखे क्योंकर यह पसीना क्या आबे ज़न्नत, क्या ज़हर ज़िन्द...
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मुंह खून लगा ऐसा इस ज़माने को
गनीमत है आँखों में अभी पानी है श्याम बिहारी श्यामल ज़िन्दाज़ेहनी की ज़िंदा निशानी है गनीमत है आँखों में अभी पानी है ...
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फितरत-ए-निगाह कहां केवल ताकना
इक़बाल-ए-चश्म यूं बुलंद करो श्याम बिहारी श्यामल कभी देखना, कभी तोलना औ' ताड़ना फितरत-ए-निगाह कहां केवल ताकना ...
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चांद भटक रहा किसकी तलाश में
हिज़रत यूं कैसे पुरसुकूं श्याम बिहारी श्यामल सफ़र आखिर किस वस्ल की आस में चांद भटक रहा किसकी तलाश में सरक गयीं ...
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खुराफ़ात कतई नहीं खराद-ए-ताक़त
हमने देखे हैं एक से एक बवंडर श्याम बिहारी श्यामल आंधियों को मशविरा, तमाशा न बनाएं कभी कुछ गढ़ा हो तो हमें ज़रा बताएं ...
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रोती हैं बुलंदियां ज़ार-ज़ार
ज़मीं पर उतरना है, यहां से कौन रास्ता श्याम बिहारी श्यामल सन्नाटे से कब तक दिखाए कोई प्यार मन ही मन रोती हैं बुलंदियां ज़...
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बटखरा सहमा हुआ, खुद तुल न जाए कहीं
कैसा दौर-ए-फ़रेब ज़ुल्मतक़दा श्याम बिहारी श्यामल तराजू खबरदार, भेद खुल न जाए कहीं बटखरा सहमा हुआ, खुद तुल न जाए कहीं तौलन...
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आग को सब हवा देंगे
सच तो सच आख़िर श्याम बिहारी श्यामल एक दिन सब दगा देंगे आग को सब हवा देंगे क्या अंदाम, क्या चमन वह हाथ सारे छुड़...
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