हंगामा गुपचुप-सा कुछ


कुछ है कहीं ठिठका-सा  

श्याम बिहारी श्यामल 

कुछ न कुछ कहता है कुछ 
हर पल क्या बजता है कुछ 

सन्नाटे में शोर क्यों 
हंगामा गुपचुप-सा कुछ 

कुछ तो सूझता जैसे 
बताता कोई और कुछ 

सवाल बेसवाल कहां 
ज़वाब क्यों बे-ज़वाब कुछ

कुछ है कहीं ठिठका-सा   
दिखा भी रहा वह कुछ-कुछ 

देखा न कुछ पहले जो 
कैसे वह ऐसा भी कुछ 

क़ुबूल कहां किसको अब  
मिल जाए जैसा भी कुछ 

होठबंद शक्ल किसकी
क्यों न कोई बताता कुछ    

कुछ कहीं और कहीं कुछ 
कहीं-कहीं तो कुछ का कुछ 

कैसे कुछ कहीं भी कुछ 
कब तक यह सब कुछ से कुछ 

श्यामल कुछ अब ढह रहा 
घपला यहां कुछ, कुछ न कुछ  







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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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