क्या कहूं हाल अपना अब जो आमद हुआ है
श्याम बिहारी श्यामल
बेअदब बेक़द्र बेमुरव्वत बेहद हुआ है
आईना मेरा जबसे आदमक़द हुआ है
जब देखो जुटा मिलता है नापने में मुझे
क्या कहूं हाल अपना अब जो आमद हुआ है
कहां देगा मौक़ा अब शक्ल संवारने का
दिखी हंसी ज़हरीली, अभी जब ज़द हुआ है
क्या कहूं उसको मसीहा बनने की जिसे ज़िद
गौर वही करे इक़रार कैसे रद हुआ है
अंदाज़-ओ-लहज़ दे देते नीयत का पता
श्यामल सवाल उठा शीशा क्यों समद हुआ है
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ज़द = सामना
अंदाज़-ओ-लहज़ = तौर तरीक़े
समद = मद से मत्त
जवाब देंहटाएंकहां देगा मौक़ा अब शक्ल संवारने का
दिखी हंसी ज़हरीली, अभी जब ज़द हुआ है … वाह वाह