दर्द की नदी ने यूं जन्म लिया
श्याम बिहारी श्यामल
अहसास को दिल का मुक़ाम दिया है
सरेग़ज़ल हमने उसे ही जिआ है
मन परबत रखा, पीर को पलने दिया
दर्द की नदी ने यूं जन्म लिया है
गोकि खुद हम भी हैं अखबारनवीस
खबर को कभी ना तफसील दिया है
मिलीभगत आंधियों से जिनकी यहां
उन्हें हमने निशानबंद किया है
नीलकंठ नहीं ज़हां का, श्यामल मैं
पर दम भर ज़हर बेसाख्ता पिया है
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