दोस्ती के नए-नए रंग खिल रहे
श्याम बिहारी श्यामल
तिज़ारत एक बिना फायदे का हो
कोई तो दुश्मन क़ायदे का हो
गाल फुलाएं या आ जाएं सामने
बहाना नया 'बाकायदे' का हो
दोस्ती के नए-नए रंग खिल रहे
इक़रार कभी बिना वायदे का हो
आतिश-ए-क़ोशिश बुझी-बुझी-सी क्यों
श्यामल एक ख्व़ाब जायदे का हो
About
Shyam Bihari Shyamal
Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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कोई तो दुश्मन क़ायदे का हो