ज़मीं पर उतरना है, यहां से कौन रास्ता
श्याम बिहारी श्यामल
सन्नाटे से कब तक दिखाए कोई प्यार
मन ही मन रोती हैं बुलंदियां ज़ार-ज़ार
अदम यह, कहां यहां दरिया-ओ-शज़र कोई
मौज-ओ-गुल की आये कैसे कभी बयार
बांझ चुप्पी, बेचैन बे-अत्फाल हवाएं
कब तक बना रहेगा आसमां यूं अग्यार
हिलना-डुलना तक मुहाल, असीरी हालात
हमेशा के लिए मुलतवी कब से असफार
ज़मीं पर उतरना है, यहां से कौन रास्ता
श्यामल से पूछती है ऊँची वह मीनार
-----------------------------------------------------------
अदम = शून्य
दरिया-ओ-शज़र = नदी और पेड़
बे-अत्फाल = बिना बच्चों वाला / वाली
अग्यार = अजनबी ( ग़ैर का बहु वचन )
मुहाल = कठिन, असंभव
असीरी = क़ैदी की तरह
मुल्तवी = स्थगित
असफार = यात्राएं ( सफ़र का बहुवचन )
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें