हमने देखे हैं एक से एक बवंडर
श्याम बिहारी श्यामल
आंधियों को मशविरा, तमाशा न बनाएं
कभी कुछ गढ़ा हो तो हमें ज़रा बताएं
तबाही बहादुरी नहीं, यह सिरफिरापन
क़हरबाज़ चुल्लू में डूब कर मर जाएं
खुराफ़ात कतई नहीं खराद-ए-ताक़त
सबकी एक चुनौती, सलाहियत दिखाएं
हमने देखे हैं एक से एक बवंडर
तूफां कभी बचे हों तो सामने आएं
श्यामल ज़िंदगी यह मुहब्बत की निशानी
किनकी औक़ात, इसे पूरा मिटा पाएं
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