गनीमत है आँखों में अभी पानी है
श्याम बिहारी श्यामल
ज़िन्दाज़ेहनी की ज़िंदा निशानी है
गनीमत है आँखों में अभी पानी है
दरिया-ए-अश्क़-ओ-पसीना, खूं यहां
बाज़ार-ए-ज़ायक़ा यह लासानी है
स्वाद जीभ से उतरने का क्यों नाम ले
दर्द का क़ायनात में कहां सानी है
मुंह खून लगा ऐसा इस ज़माने को
सभी को तलब-ए-आब-ए-कहानी है
श्यामल सलूक़ यह पहेली से कहां कम
मुड़-मुड़ देखे क्यों, अज़ब यह रवानी है
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ज़िन्दाज़ेहनी = जीवंत स्मृति
लासानी = बेजोड़
सानी = बराबरी का
रवानी = बहाव
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