हम तो वाक़िफ़ हैं वह असल रंगसाज़ हैं


लफ्ज़ मुक़म्मल हैसियत 

श्याम बिहारी श्यामल 

क़रीबी जो शातिर और साजिशबाज़ हैं
शुरू से हमसे तहेदिल से नाराज हैं

रंग बदल जब-तब सोचते भरमा देंगे
हम तो वाक़िफ़ हैं वह असल रंगसाज़ हैं

उनकी हर फ़िक्र-ओ-कोशिश पता है हमें
भरम उन्हें खुद का कि वह रंगबाज़ हैं

ज़िद मन में रखी है कि मिटा देंगे हमें
सबको पता कि वह कोई नहीं नवाज़ हैं

श्यामल अदबी है लफ्ज़ मुक़म्मल हैसियत
मिटते ही उगना उसके अपने अंदाज़ हैं  




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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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