कुनबा-ए-फरेब शबाब पर

श्याम बिहारी श्यामल 

जहां जो भी खरा-सच्चा था 
बमुश्किल बाल-बाल बचा था

शब्द खा चुकी शातिर चुप्पी
सन्नाटा फ़लक पर मचा था

सबके सामने जो गमज़दा
साज़िश को उसी ने रचा था

कुनबा-ए-फरेब शबाब पर
क़दम-क़दम हरदम गच्चा था

श्यामल रंग दुनिया का जुदा 
मासूम न कोई कच्चा था





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About Shyam Bihari Shyamal

Chief Sub-Editor at Dainik Jagaran, Poet, the writer of Agnipurush and Dhapel.
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